Mahashivratri 2023: बाबा बैद्यनाथ धाम में साक्षात शिव का वास, शिवलिंग को लंका ले जाते समय रावण से यहीं हुई थी भूल
Baba Baidyanath Dham: झारखंड के देवघर में एक पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग स्थित है जिसे बाबा बैजनाथ धाम भी कहा जाता है. इस जगह को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी हैं.
Mahashivratri 2023: आज महाशिवरात्री है और भगवान शिव के उपासकों के लिए काफी अहम दिन है. झारखंड के देवघर में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग स्थित है जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है. पुराणों में वैद्यनाथ शिवलिंग को लेकर एक कथा है. यह कथा भगवान शिव और रावण से जुड़ी है.
कहा जाता है कि जब रावण भगवान शिव को खुश करने के लिए तपस्या कर रहा था तो वह अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था. जब उसका 10वां सिर काटने की बारी आई तो भगवान शिव उसके सामने शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए और कोई वरदान मांगने के लिए कहा. तब रावण ने उनसे मांगा कि वे कैलाश छोड़कर लंका में रहें. इसपर भगवान शिव ने उसकी बात मान गए लेकिन शर्त रखी कि वे अगर रावण ने शिवलिंग को रास्ते में कही भी रखा तो शिव शंकर वहीं रह जाएंगे. रावण ने भगवान शिव की ये शर्त स्वीकार कर ली और शिवलिंग लेकर लंका के लिए चल पड़ा.
रावण की लघुशंका से बना तालाब!
रास्ते में रावण को लघुशंका लगी, लेकिन वह शिव जी की शर्त नहीं भूला था इसीलिए उसने शिवलिग को नीचे नहीं रखा, बल्कि एक गड़रिए को दे दिया. रावण काफी देर तर लघुसंका करता रहा और इधर गड़ेरिए के हाथ में आने के बाद शिव जी ने अपना वजन इतना भारी कर लिया कि गड़ेरिए को शिवलिंग जमीन पर रखनी पड़ी. कहा जाता है कि वह स्थान जहां रावण देर तक लघुशंका करता रहा उस जगह पर तालाब बन गया जो आज भी देवघर में है. गड़ेरिए के शिवलिंग जमीन पर रखने पर रावण को काफी गुस्सा आया और वह उसे मारने के उसके पीछे गया. तब गड़ेरिया एक कुएं में गिर गया और उसकी मौत हो गई. इस जगह पर आज भी मेला लगता है.
रावण ने गलती से इस जगह शिवलिंग हुआ स्थापित!
एक कथा और प्रसिद्ध है. एक बार भगवान विष्णु कई देवताओं के साथ भगवान शिव को ढूंढने के लिए धरती पर आए थे. तब भगवान शिव ने तीन सींगों वाले एक मृग का रूप धारण कर लिया था. ब्रह्मा और इंद्र देव ने मृग का रूप धारण किए हुए भगवान शिव के दो सींग पकड़ लिए जिसकी वजह से वे अदृश्य हो गए और उनके तीनों सींग लिंग में बदल गए. मान्यता है कि देवताओं ने तीन लिंगों को गोकर्णनाथ, शुंगेश्वर और तीसरे शिवलिंग को इंद्रलोक ले गए थे. जब रावण और इंद्र के बीच युद्ध हुआ तो रावण इंद्रलोक से तीसरा सींग उठा लाया और लंका ले जाने लगा. लेकिन गलती से गोकर्णनाथ में रख दिया और शिवलिंग वहीं स्थिर हो गया.
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