Jharkhand News: बीजेपी की प्रत्याशी सीता सोरेन (Sita Soren) ने कहा कि उन्हें उनके ससुर और जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन (Shibu Soren) का साथ मिला है और पारिवारिक बैठक में उन्होंने यह साफ कर दिया है कि हमें अपनी बहू को जिताना है. सीता सोरन ने हाल ही में जेएमएम छोड़ बीजेपी ज्वाइन की है और वह दुमका सीट से चुनाव लड़ रही हैं. यहां से जेएमएम ने नलिन सोरेन (Nalin Soren) को टिकट दिया है. दुमका सीट पर 1 जून को वोटिंग होनी है.
न्यूज़ 18 बिहार से बातचीत में सीता सोरेन ने कहा कि 'मुझे गुरुजी का आशीर्वाद मिला है. पारिवारिक बैठक में जब यह बात सामने आई कि दुमका से मैं बीजेपी के टिकट पर खड़ी हूं और जेएमएम से नलिन को उतारा गया है तो उन्होंने साफ कर दिया कि वह घर की बहू को जिताएंगे.'' हालांकि सीता सोरेन की देवरानी और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा है कि वह दुमका में अपनी पार्टी के लिए प्रचार करेंगी.
कल्पना विपक्ष हैं तो प्रचार करना गलत नहीं- सीता
कल्पना सोरेन के प्रचार पर सीता ने कहा, ''वह तो विपक्ष हैं तो प्रचार करेंगी ही. इसमें कोई दिक्कत नहीं है वो अपनी जगह है मैं अपनी जगह हूं. अपनी पार्टी के लिए प्रचार करना भी चाहिए.'' सीता सोरेन ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी से क्षेत्र के लोग खुश हैं और बीजेपी के नेता काफी सहयोग कर रहे हैं.
पति के जाने के बाद किया गया दरकिनार- सीता
सीता सोरेन ने जेएमएम छोड़ते वक्त उनपर लगे आरोपों को लेकर भी जवाब दिया. सीता ने कहा, ''गुरुजी की अगुवाई में जेएमएम के संघर्ष में मेरे पति दुर्गा सोरेन आगे रहे. अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली तक गए और अलग राज्य भी बन गया. उन्होंने जेएमएम के संगठन को मजबूत किया और मैं उनके पीछे-पीछे रही. उस वक्त हेमंत सोरेन पार्टी में कुछ नहीं थे. दुर्गा सोरेन के कारण जेएमएम मजबूत हुआ. इसका फायदा हेमंत सोरेन को मिला. लेकिन मेरे पति के जाने के बाद मुझे हमेशा अलग-थलग रखा गया.''
मैंने ईडी मामले में हेमंत को समझाने की कोशिश की थी- सीता
सीता ने कहा कि अधिकारों की बात तो सब करते हैं. हमने कहा तो क्या बुरा कहा. सीता ने कहा, '' जब हेमंत जी को उत्तराधिकारी घोषित किया गया तो मैंने विरोध नहीं किया लेकिन मुझे हमेशा दरकिनार किया गया. मुझे मीटिंग में नहीं बुलाते थे, दुर्गा सोरेन द्वारा बनाए गए संगठन से भी दूर कर दिया गया. फिर भी मैंने अपनी मौजूदगी बनाने की कोशिश की.'' वहीं, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के मुद्दे पर सीता ने कहा, ''जब ईडी का प्रकरण हुआ. और हेमंत सोरेन जी को सलाखों के पीछे जाना पड़ा. हमने समझाने की कोशिश की लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी.''
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