Jharkhand Politics: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) को महाराष्ट्र (Maharashtra) का राज्यपाल बनाया गया है. वहीं झारखंड में नए राज्यपाल के तौर पर सीपी राधाकृष्णन अब योगदान देंगे. बात करें रमेश बैस की तो झारखंड के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल करीब एक साल आठ महीने का रहा, उनके इस कार्यकाल को राजनीतिक विशेषज्ञ विवादों के लिए याद कर रहे हैं. आपको बता दें राज्यपाल रमेश बैस और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के बीच काफी बयानबाजी सामने आई थी, कई बार राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव और असहमति के भी हालात बने.


कई बार देखा गया कि राजपाल रमेश बैस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के अधिकारों के अतिक्रमण की शिकायत केंद्र तक पहुंचाई थी. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप  लगाया था.


राज्यपाल का वो कदम जिससे हिल गई थी सोरेन सरकार


मुख्यमंत्री के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में राज्यपाल ने केंद्रीय चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था जिस पर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर बीजेपी और मुख्यमंत्री से जवाब मांगा था. दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने बीते साल 25 अगस्त को राजभवन को एक सीलबंद लिफाफे में अपना मंतव्य भेज दिया था जिसके बाद उस सील बंद लिफाफे को लेकर कई तरह की अफवाह उड़ती रही. यह भी कहा जाने लगा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अब खतरे में है.


कहा गया कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश की है. रमेश बैस इस मामले पर चुप्पी साधे रहे जिस पर मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के विधायक काफी चिंतित नजर आए. इसी बीच सत्ता पक्ष के लोग झारखंड से बाहर रायपुर में भी एकजुट हुए थे. राज्यपाल की ओर से किसी भी प्रतिकूल फैसले की आशंका को देखते हुए हेमंत सोरेन सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वासमत का प्रस्ताव तक पारित करने की मशक्कत करनी पड़ी थी. इतना कुछ हो जाने के बाद भी राज्यपाल रमेश बैस ने चिट्ठी का रहस्य जनता के सामने नहीं खोला.


आखिरी समय तक नहीं खोला था चिट्ठी का रहस्य


एक निजी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में बैस ने झारखंड सरकार को अस्थिर करने के सवाल पर रमेश बैस ने कहा था कि अगर मेरा इरादा गलत था तो मैं चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर निर्णय ले सकता था लेकिन मैं किसी को बदनाम करने के लिए या प्रतिशोध के इरादे से कोई कार्यवाही नहीं करना चाहता था, मैं एक संवैधानिक पद पर हूं और मुझे संविधान की रक्षा करनी है. कोई भी मुझ पर यह कहते हुए उंगली ना उठाए कि मैंने बदले की भावना से काम किया इसलिए मैंने दूसरी राय मांगी है.


हालांकि रमेश बैस ने चुनाव आयोग की सिफारिश के बारे में विस्तार से नहीं बताया और यह भी नहीं बताया कि किस से उन्होंने दूसरी राय मांगी है. यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरी राय मिलने के बाद कोई बड़ा फैसला सामने आएगा? इस पर राज्यपाल ने कहा कि पटाखे फोड़ना दिल्ली में प्रतिबंधित है लेकिन झारखंड में नहीं, हो सकता है कि झारखंड में एक एटम बम फट जाए. उनके इस इस बयान के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व मामला है जिसमें एक अपराधी या एक आरोपी सजा की गुहार लगा रहा है जबकि संविधानिक अधिकारी कोई फैसला नहीं सुना रहे हैं.


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