Jharkhand Mining Case: खनन पट्टा आवंटन मामले में सीएम हेमंत सोरेन को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने रांची हाई कोर्ट दिया ये आदेश
Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट से कहा है कि खनन पट्टों के कथित अनुदान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच के लिए दायर जनहित याचिका विचार योग्य है या नहीं, पहले यह तय करें.
Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट ने खदान आवंटन और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के फंड के मामले में लगाए गए आरोपों पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रांची हाईकोर्ट (Ranchi High court) से कहा है कि वह खदान आवंटन मामले में सीएम और अन्य लोगों के खिलाफ दाखिल की गई पीआईएल की जांच करे. सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने आदेश पारित किया.
झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पीआईएल याचिका दाखिल करने वाले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और इससे पहले भी वह कई मामले दाखिल कर चुके हैं. बता दें याचिका में सीएम सोरेन और उनके परिजनों के खिलाफ मनरेगा की धनराशि और खदानों के आवंटन में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क्या कहा?
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने 13 मई के अपने आदेश में खुद कहा था कि वह पहले इस बात पर विचार करेगा कि शिव कुमार शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं और फिर वह याचिका में लगाए गए आरोपों के गुण-दोष पर गौर करेगा. पीठ ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि हाई कोर्ट रिट याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले विचार करेगा और फिर कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा.’’
झारखंड सरकार ने याचिकाकर्ता को राजनीति से बताया प्रेरित
वहीं झारखंड सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता राजनीति से प्रेरित है. उसकी जनहित याचिका नियम के मुताबिक नभी नहीं है. हाईकोर्ट को पहले जनहित याचिका की प्रमाणिकता पर विचार करना चाहिए कि वह सुनवाई लायक है भी या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलें की स्वीकार
वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की दलीलें मंजूर करते हुए हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि पहले इस बाद पर सुनवाई की जाए कि याचिका जनहित याचिका के दायरे में आती है या नहीं और क्या वह सुनवाई लायक है या नहीं. उसकी बेदा देखा जाएगा कि याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी या नहीं.
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