Jharkhand के बाप-बेटी की कहानी को Oscar में मिली जगह, 'टू किल ए टाइगर' बेस्ट डॉक्यूमेंट्री में नॉमिनेट
To Kill a Tiger Documentary: 'टू किल अ टाइगर' ऑस्कर 2024 में नॉमिनेट होने वाली इकलौती भारतीय फिल्म है. यह फिल्म एक रेप पीड़ित बेटी और उसके पिता की न्याय की लड़ाई के लिए किए गए संघर्षों पर बनी है.
Oscars Nominations 2024: ऑस्कर अवॉर्ड 2024 के नॉमिनेशन की घोषणा हुई तो एक ओर जहां 13 नॉमिनेशन के साथ क्रिसटोफर नोलन की 'ओपेनहाइमर' का एकेडमी अवॉर्ड्स में डंका बज रहा है. वहीं चर्चा डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'टू किल ए टाइगर' की भी हो रही है. दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म अवॉर्ड्स में भारतीय फीचर फिल्में भले ही जगह नहीं बना पा रही हों, लेकिन भारत की कहानी कहती डॉक्यूमेंट्री फिल्मों ने अपना मुकाम जरूर बना लिया है. बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नॉमिनेट हुई 'टू किल ए टाइगर' को भारतीय मूल की निशा पाहुजा ने डायरेक्ट किया है.
निशा पाहुजा की डायरेक्ट की हुई 'टू किल ए टाइगर' डॉक्यूमेंट्री फिल्म झारखंड के एक बाप-बेटी की सच्ची कहानी है. यह फिल्म एक किसान पिता की न्याय की लड़ाई को दिखाती है, जो अपनी 13 साल की बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ता है. उसकी बेटी का पहले अपहरण किया गया और फिर तीन लोगों ने उस मासूम का रेप किया. दुष्कर्मियों को सजा दिलाने से कहीं अधिक यह लड़ाई बेटी का साथ देने की है.
2017 की घटना पर बनी है फिल्म
फिल्म में झारखंड के बेरो जिले की जिस घटना को दिखाया है, वह 2017 की है. 9 अप्रैल की तारीख थी, जब 13 साल की बच्ची एक शादी में गई थी. वहां नाच-गाने के दौरान उसके ही तीन रिश्तेदार उसे सुनसान जगह पर ले गए और उसके साथ रेप किया. इसके बाद उसके पिता पुलिस के पास जाते है और आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया जाता है, लेकिन यह राहत कुछ ही दिनों के लिए होती है, क्योंकि गांववाले और उनके नेता इस परिवार पर आरोप वापस लेने के लिए दबाव बनाते हैं. बता दें अब इस बच्ची की उम्र 18 साल से अधिक है और डॉक्यूमेंट्री में उसकी पहचान उजागर की गई है.
'आज भी याद है वो दिन'
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित के 45 वर्षीय पिता ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरी बेटी ने कहा था कि वह मामले को निपटाने के बजाय मर जाना पसंद करेगी. उन्होंने आगे बताया कि आरोपी उनके रिश्तेदार ही थे. उनमें से दो उनकी बेटी के चचेरे भाई थे और एक भतीजा था, सभी की उम्र 20 साल के आसपास थी. वह आगे कहते हैं कि उस दिन वह सारे रिश्ते खत्म हो गए. मुझे आज भी याद है कि जब वह उस रात घर लौटी तो वह कितनी ड़री और परेशान थी.
समाज की सोच से कैसे एक बाप ने लड़ी लड़ाई?
यहां एक पिता की लड़ाई सिर्फ कानूनी नहीं है, उसका संघर्ष पूरे गांव की सोच के साथ है, जहां कई लोग सोचते हैं कि तीनों आरोपियों के खिलाफ इस तरह के मुकदमे से उनके समुदाय और खासकर उसके परिवार को शर्मिंदगी होगी.सात ही कुछ लोग कहते हैं कि रेप के बाद लड़की का घर कैसे बसेगा, इसलिए रेप के आरोपियों में एक से लड़की शादी कर दी जाए. फिल्म'टू किल ए टाइगर' में निशा पाहुजा ने पीड़ित के दर्द से उबरने की प्रक्रिया की बजाय उसके पिता के संघर्ष पर फोकस किया है, जो अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए मिटने तक को तैयार है.