Babulal Marandi Reaction Over Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में 28 नवंबर 2019 को शुरू हुआ उद्धव राज खत्म हो गया है. पिछले 10 दिनों से जारी सियासी घमासान के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के साथ विधान परिषद की सदस्यता से भी त्याग पत्र दे दिया है. उद्धव ठाकरे कुल 943 दिनों तक महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री रहे. महाराष्ट्र में हुए सियासी घटनाक्रम को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने कहा कि, लोकतंत्र में किसी राजनैतिक पार्टी को पूर्वजों की विरासत बनाकर राजशाही हुकूमत की तरह मनमाने तरीके से बहुत दिनों तक नहीं चलाया जा सकता.
'राजा का बेटा राजा, पोता के राजकुमार बनने के दिन लद रहे हैं'
बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि, ''महाराष्ट्र में जिस तरीके से उद्धव ठाकरे सरकार का पतन हुआ उससे यह साबित हो गया है कि लोकतंत्र में किसी राजनैतिक पार्टी को पूर्वजों की विरासत बनाकर राजशाही हुकूमत की तरह मनमाने तरीके से बहुत दिनों तक नहीं चलाया जा सकता. राजा का बेटा राजा, पोता के राजकुमार बनने के दिन लद रहे हैं.''
झलका उद्धव का दर्द
इस बीच बता दें कि, इस्तीफे से पहले उद्धव ठाकरे ने फेसबुक के जरिए संबोधन दिया. इसमें उद्धव ने साफ कर दिया कि उन्हें फ्लोर टेस्ट से कोई मतलब नहीं है. महाविकास अघाड़ी के पास, शिवसेना के पास कितने नेता हैं, बीजेपी के पास कितने नेता है. इन सब में क्यों दिमाग खराब करना, काम करने के लिए दिमाग का इस्तेमाल करना है. मुझे इन सब में नहीं पड़ना. महाराष्ट्र के राज्यपाल ने 30 जून यानी आज शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था. राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची. लेकिन कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
भारी पड़ी बगावत
गौरतलब है कि, एकनाथ शिंदे की लीडशिप में शिवसेना के 39 विधायकों ने उद्धव ठाकरे को कुर्सी छोड़ने को मजबूर दिया. जिसकी टीस उद्धव ठाकरे मे सीएम के तौर पर कार्यकाल के आखिरी दिन साफ दिखी. उद्धव ने कहा कि, जिसे शिवसेना ने राजनीति में जन्म दिया. जिन्हें शिवसेना प्रमुख ने बड़ा किया. उस शिवसेना प्रमुक के बेटे को राजनीति से हटान का पुण्य अगर उन्हें मिल रहा है तो मिलने दो. सब पाप मेरा है उसका फल भोगना ही पड़ेगा. कल वे गर्व और अभिमान के साथ कहेंगे कि शिवसेना प्रमुख ने हमें यहां तक पहुंचाया लेकिन उनके बेटे को हमने हटा दिया. ये पुण्य उनको मिलेगा.
दिलचस्प रही है महाराष्ट्र की सियासत
महाराष्ट्र की राजनीति खासी दिलचस्प रही है. जहां एक तरफ उद्धव को महज 943 दिनों के कार्यकाल के बाद इस्तीफा देना पड़ा तो वहीं अगर वहां की सियासत पर गौर करें तो उनसे पहले सिर्फ 2 ही मुख्यमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे. ये दोनों थे बीजेपी के देवेन्द्र फडणवीस और कांग्रेस के वसंतराव नाइक. महाराष्ट्र के साल 1960 में अलग राज्य बनने के बाद वसंतराव नाइक 1963 से 1967 तक सीएम रहे. इसके बाद 1967 में फिर सीएम बने और दूसरा कार्यकाल भी उन्होंने पूरा किया था. जबकि, साल 2014 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की तरफ से राज्य के सीएम बने देवेन्द्र फडणवीस ने भी 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था.
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