Jharkhand News: बीजेपी की कद्दावर नेता और दो बार राजस्थान का सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे ने झारखंड प्रभारी की जिम्मेदारी मिलते ही सियासी मोर्चा संभाल लिया है. वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के सियासी गढ़ दुमका में आज चुनावी हुंकार भरेंगी. वह जेएमसम प्रमुख और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को साफ कर देना चाहती हैं कि जन विरोधी सरकार को लोकसभा चुनाव के दौरान उखाड़ फेंकने का काम करेंगी. यहां की जनता सोरेन सरकार के कुशासन से ऊब चुकी है. 


राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया तीन दिवसीय झारखंड दौरे के तहत 13 जून को ही देवघर पहुंच गई थीं। तीन दिवसीय यात्रा के दौरान वह लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर झारखंड बीजेपी नेताओं में जोश भरने का काम करेंगी. साथ ही बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सोरेन सरकार के खिलाफ आक्रामक तरीके से एक्टिव करने का मंत्र भी देंगी. पार्टी की ओर से गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे को पूरी जिम्मेदारी मिली है कि वह वसुंधरा की इस यात्रा को सफल बनाएं। इस योजना के तहत एक दिन पहले यानी 13 जून को गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के देवघर स्थित शिवलोक मैदान में भी उन्होंने एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए जेएमएम सरकार जोरदार वार किया. 


JMM के राज में भ्रष्टाचार का बोलवाला


उन्होंने देवघर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि आदिवासियों के नाम पर लोग सत्ता हासिल करने वाले लोग सत्ता हासिल करने के बाद से प्रदेश का विकास करने के बदले खुद की तिजौरी को भरने में लगे हैं. जबकि यहां के आदिवासी विकास को तरह रहे हैं. सीएम हेमंत सोरेन की सरकार ने लोगों को धोखा देने का काम किया है. झारखंड में चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलवाला है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए वसुधंरा ने कहा कि झारखंड का निर्माण यहां की खनिज संपदा से स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने किया था. इसके उलट वर्तमान सीएम और यहां के अधिकारी खुद को फायदा पहुंचाने में लगे हैं. 


वसुंधरा की एंट्री से जेएमएम में मची खलबली


बीजेपी की ओर से तय कार्यक्रम के मुताबिक पूर्व सीएम वसुंधरा राजे आज दुमका लोकसभा क्षेत्र के कैराबनी में एक जनसभा को संबोधित करेंगी. लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले झारखंड की राजनीति में उनकी एंट्री धमाकेदार एंट्री से सत्ताधारी पार्टी में खलबली की स्थिति है. सियासी जानकारों का कहना है कि झारखंड जेएमएम के नेता उनकी मिशनरी कामकाज की शैली से परिचित हैं. उन्हें लगता है कि वसुंधरा अपनी रणनीति में सफल हो गईं तो सत्ताधारी पार्टी का लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ा सियासी नुकसान तय है. चर्चा इस बात की भी है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें यूं ही झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नहीं सौंपी. 


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