Seraikela: झारखंड के सरायकेला के आदित्यपुर में वाशिंग मशीन फटने से एक फ्लैट में आग लग गई. आग से सोसाइटी में मची अफरा-तफरी मच गई लेकिन गनीमत रही कि लोग बाल-बाल बच गए. कुछ दिनों पहले ही पूरे झारखंड की हर सोसाइटी और फ्लैट में अग्निशमन की जांच की गई थी. उसके बावजूद इतनी बड़ी चूक हो गई.
बहुत प्रयास के बाद फायर ब्रिगेड को मिली सूचना
साईं अचल सोसाइटी के फ्लैट संख्या ए-102 में सोमवार की सुबह अचानक अफरा-तफरी मच गई और लोगों की भीड़ जमा होने लगी. जानकारी मिली कि एक फ्लैट में वाशिंग मशीन फटने से आग लग गई. जिस बिल्डिंग में आग लगी वहां से बच्चों और लोगों के चीखने की आवाज साफ सुनाई देने लगी. इससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. काफी मशक्कत के बाद पूरी सोसाइटी की बिजली काटी गई. काफी देर तक प्रयास करने के बाद फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना मिली, जिसके बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची लेकिन तब तक स्थानीय लोगों ने आग पर काबू पा लिया था.
हर सोसाइटी में कराया गया था अग्निशमन व्यवस्था का सर्वे
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले पूरे झारखंड में एक साथ सभी फ्लैटों और सोसाइटी एवं कमर्शियल भवनों जैसे होटल, मॉल वगैरह में अग्निशमन की व्यवस्था की जांच की गई थी, लेकिन सरायकेला जिले के प्रशासन की व्यवस्था पर यह हादसा पूरी तरह से सवालिया निशान खड़ा करता दिख रहा है. जहां मुख्य मार्ग से बिल्कुल सटे हुए इस सोसाइटी की जांच आखिर किस स्तर पर हुई, क्योंकि जिस बिल्डिंग में या हादसा हुआ वहां अभी अग्निशमन की व्यवस्था नहीं है. इस सोसाइटी में लगभग 3000 लोग रहते हैं, जिसमें बुजुर्ग से लेकर नवजात बच्चे भी हैं. उनकी जिंदगी की जिम्मेदारी किन के हाथों में है. फिलहाल आग पर तो काबू पा लिया गया है लेकिन यह पहला मामला प्रकाश में आया है. ऐसे कई मामले हैं जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
बिजली व्यवस्था सही नहीं रहने से हुआ शॉर्ट सर्किट
घटना की जानकारी देते हुए फ्लैट के मालिक ने बताया बाथरूम गए थे और वाशिंग मशीन में कपड़े धोने के लिए डाले थे लेकिन सही से बिजली की व्यवस्था फ्लैट में नहीं होने के कारण शॉर्ट सर्किट से आग लग गई है. भगवान का शुक्र है कि वह बैचलर थे अगर उनके यहां बच्चे होते तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता था.
लोगों ने पूछा सवाल- किसने दिया एनओसी ?
आसपास की अन्य सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने प्रशासन से सवाल किया है कि सर्वे के नाम पर फ्लैट वालों को लगातार विभाग की ओर से परेशान किया गया था और हर एक फ्लैट की जांच की गई थी, फिर मुख्य मार्ग पर मौजूद इस फ्लैट की जांच में इतनी कोताही कैसे हो गई ? किसके इशारे पर इसे एनओसी दिया गया ? पूरे मामले पर जिला प्रशासन के हर व्यक्ति को बात करने से कतराते हुआ देखा गया.
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