Jharkhand Operation Octopus: झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों (Naxalites) के सुरक्षित पनाहगाह के रूप में जाना जाता है. लेकिन, इस बीच नक्सलियों के खिलाफ इस बार झारखंड (Jharkhand) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) दोनों ओर से एक साथ पहाड़ की घेराबंदी कर कार्रवाई की जा रही है. इसे ऑपरेशन ऑक्टोपस (Operation Octopus) का नाम दिया गया है. झारखंड में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के नेतृत्व में सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम की तरफ से चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान के दौरान विस्फोटकों और हथियारों का जखीरा मिला है. विस्फोटकों के जखीरे में चीन निर्मित हथगोले और 350 से अधिक कारतूस शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक 4 सितंबर को सीआरपीएफ की कमांडो टुकड़ी 'कोबरा' और झारखंड पुलिस की विशेष इकाई 'जगुआर' ने गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया है. 


हथियारों का जखीरा बरामद 
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान भारी संख्या में गोला बारूद का जखीरा मिला जिनमें 38 चीन निर्मित हथगोले, 21 प्रेशर कुकर इंप्रोवाइस्ड डिवाइस (आईईडी) शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा स्वचालित राइफल के 358 कारतूस, अमोनिया नाइट्रेट की कुछ मात्रा और जंगल में रहने के लिए इस्तेमाल कुछ अन्य सामग्री सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम ने बरामद की. अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान नक्सलियों की कुछ गतिविधियों की भी जानकारी मिली. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन ऑक्टोपस का मकसद ''माओवादियों के प्रभाव वाले इलाके में पहुंच बनाना है ताकि बाद में इन इलाकों में विकास परियोजनाओं की शुरुआत की जा सके.''


नक्सलियों का जमावड़ा
सुरक्षाबलों और पुलिस के मुताबिक, बूढ़ा पहाड़ पर 30 से 35 नक्सलियों का जमावड़ा है. इनमें सौरभ उर्फ मरकुस बाबा और नवीन सबसे कुख्यात हैं. सौरभ को माओवादियों का स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य बताया जा रहा है. उस पर 25 लाख रुपये का इनाम है. इसके अलावा नवीन यादव, मृत्युंजय भुइंया, संतू भुइंया और रवींद्र गंझू जैसे नक्सली अब भी बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ऑपरेशन ऑक्टोपस की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इसके अलावा 3 आईपीएस हर रोज चलने वाले ऑपरेशन की रणनीति बना रहे हैं. अभियान में झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, जगुआर एसॉल्ट ग्रुप, आईआरबी और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं.


बूढ़ा पहाड़ है नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना   
गौरतलब है कि, बूढ़ा पहाड़ करीब 55 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा झारखंड के लातेहार, गढ़वा और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सटी है. पिछले 2 दशकों से ये माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है. 2018 में भी यहां सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान चलाया था. इस दौरान नक्सलियों के कई बंकर ध्वस्त किए गए थे, बड़े पैमाने पर नक्सली पकड़े भी गए थे. सुरक्षाबलों की नाकेबंदी के चलते वर्ष 2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी अरविंद को बीमारी के दौरान बाहर से कोई सहायता नहीं मिल पाई थी और उसकी मौत हो गई थी. हालांकि, इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को भी नुकसान हुआ था और 6 जवान शहीद हुए थे.


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