Ritika Tirkey: कौन हैं रितिका तिर्की? जो बनीं वंदे भारत चलाने वाली पहली महिला आदिवासी लोको पायलट
Ritika Tirkey News: रितिका तिर्की झारखंड के एक छोटे से आदिवासी गांव से आती हैं. रितिका ने BIT मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद भारतीय रेलवे में अपना करियर बनाया.
Who Is Ritika Tirkey: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस का वर्चुअल उद्घाटन किया था. इस बीच इस वंदे भारत एक्सप्रेस की लोको पायलट झारखंड के आदिवासी समुदाय की 27 वर्षीय रितिका तिर्की खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. झारखंड के बीजेपी नेता चंपाई सोरेन ने भी रितिका का वीडियो शेयर कर उनकी सराहना की है.
कौन हैं रितिका तिर्की?
बता दें रितिका झारखंड के एक छोटे से आदिवासी गांव से आती हैं. ऐसे में भारत की सबसे प्रतिष्ठित ट्रेनों में से एक का संचालक करना उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत को दिखाता है. रितिका के परिवार में उनके माता-पिता और उनके चार भाई-बहन हैं. रितिका ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची से पूरी की. इसके बाद BIT मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद रितिका ने भारतीय रेलवे में अपना करियर बनाया.
रितिका तिर्की ने 2019 में दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) के चक्रधरपुर डिवीजन में शंटर के रूप में अपनी रेलवे यात्रा शुरू की और बाद में मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें चलाईं. इसके बाद रितिका को सीनियर सहायक लोको पायलट के पद पर प्रमोशन के बाद उन्हें वंदे भारत एक्सप्रेस के ऑपरेटिंग में असिस्ट करने का मौका मिला.
पूरे आत्मविश्वास के साथ वंदे भारत एक्स्प्रेस को चला रही है यह झारखंड की बेटी रितिका है - वंदे भारत चलाने वाली देश की पहली महिला आदिवासी सहायक लोको पायलट रितिका तिर्की।
— Champai Soren (@ChampaiSoren) September 19, 2024
यह नया भारत है, जिसमें आदिवासी समाज की यह बेटी, अपनी शिक्षा एवं प्रतिभा से हमारे समाज एवं राज्य को गौरवान्वित… pic.twitter.com/4i6malE1to
चंपाई सोरेन ने क्या कहा?
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर रितिका तिर्की का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "पूरे आत्मविश्वास के साथ वंदे भारत एक्स्प्रेस को चला रही है यह झारखंड की बेटी रितिका है. वंदे भारत चलाने वाली देश की पहली महिला आदिवासी सहायक लोको पायलट रितिका तिर्की. "
चंपाई सोरेन ने लिखा, "यह नया भारत है, जिसमें आदिवासी समाज की यह बेटी, अपनी शिक्षा और प्रतिभा से हमारे समाज एवं राज्य को गौरवान्वित कर रही है. अपनी बेटियों को पढ़ाइए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका दीजिए, तभी वे आगे आकर समाज और देश का नेतृत्व कर सकेंगी. तब ही महिला सशक्तिकरण धरातल पर स्पष्ट दिखाई देगा."