Lok Sabha Election 2024: क्या लोकसभा चुनाव लड़ेंगी सीता सोरेन? बाबूलाल मरांडी ने दो टूक में दिया जवाब
Jharkhand Lok Sabha Election 2024: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस और झामुमो विधायकों को अपनी ही सरकार से खतरा महसूस हो रहा है. सीता सोरेन का पत्र उस दर्द और अन्याय को दर्शाता है, जो उन्होंने झेला.
Jharkhand Lok Sabha Chunav 2024: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और जामा से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की विधायक सीता सोरेन ने पार्टी को झटका देते हुए मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. साथ ही लोकसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले बीजेपी में शामिल हो गईं. इस मौके पर झारखंड बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सीता सोरेन का पार्टी में स्वागत है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगी, मरांडी ने कहा कि यह निर्णय पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति करेगी.
दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन ने बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े और झारखंड के चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. सीता सोरेन झामुमो से इस्तीफा देते हुए दावा किया कि राज्य में सत्तारूढ़ झामुमो में उन्हें उपेक्षित और अलग-थलग किया जा रहा था. इसके बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा, ‘‘कांग्रेस और झामुमो विधायकों को अपनी ही सरकार से खतरा महसूस हो रहा है.’’ उन्होंने कहा कि सीता सोरेन का पत्र ‘‘उस दर्द और अन्याय को दर्शाता है, जो उन्होंने झेला है.’’
सीता राम के पास आई- बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी ने कहा, ‘‘सीता राम के पास आई हैं...उनका स्वागत है.'झामुमो केंद्रीय समिति के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी ने उन्हें उचित मान्यता दी और उन्हें अपना महासचिव बनाया. उन्होंने ‘‘शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया’’ जैसे नेताओं के साथ किए गए ‘‘व्यवहार’’ का हवाला देते हुए बीजेपी पर भी हमला बोला और उसे ‘‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’’ की नीति में विश्वास करने वाली पार्टी करार दिया. यह आरोप लगाया कि बीजेपी विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने के लिए सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल करती है.
झारखंड बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हर कोई हेमंत सोरेन नहीं है, जो निडर होकर ऐसी ताकतों का सामना कर सके.’’ तावड़े ने कहा कि सीता सोरेन के बीजेपी में शामिल होने का असर चुनावों, खासकर इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में महसूस किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आदिवासियों के लिए कई विकास कार्य किए हैं. बाजपेयी ने झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार के तहत राज्य में कथित भ्रष्टाचार और लूट के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सीता की सराहना की.उन्होंने कहा कि राज्य की सभी 14 लोकसभा सीट पर बीजेपी का चुनाव चिह्न ‘कमल’ खिलेगा.
इससे पहले सोरेन परिवार में उस समय दरार सामने आई थी जब सीता ने कथित भूमि घोटाले से जुडे धनशोधन के एक मामले के कारण जेल में बंद हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाये जाने के किसी भी कदम का खुलकर विरोध किया था. हालांकि, चंपई सोरेन को पार्टी ने हेमंत सोरेन की जगह लेने के लिए चुना था, लेकिन कल्पना सोरेन तब से राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखाई दे रही हैं, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह हेमंत की अनुपस्थिति में पार्टी की एक प्रमुख प्रचारक होंगी.
पार्टी सुप्रीमो और अपने ससुर शिबू सोरेन को लिखे इस्तीफे में सीता ने कहा कि उनके पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद पार्टी ने उन्हें तथा उनके परिवार को पर्याप्त सहयोग नहीं दिया. उन्होंने झामुमो सुप्रीमो और अपने ससुर शिबू सोरेन को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा, ‘‘मेरे दिवंगत पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद से मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार हुआ है. मेरे पति झारखंड आंदोलन के अगुवा थे और महान क्रांतिकारी थे. पार्टी और परिवार के सदस्यों ने हमारी उपेक्षा की जो बहुत पीड़ादायक रहा.’’
'इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा'
सीता सोरेन ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद थी कि समय के साथ हालात सुधरेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.’’ उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘हम सब को साथ रखने के लिए मेहनत करने वाले श्री शिबू सोरेन के अथक प्रयास दुर्भाग्य से विफल रहे. मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ रची जा रही साजिश का मुझे पता चल गया है. मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.’’ विधायक के कार्यालय के अनुसार, सीता सोरेन ने झारखंड विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है.
झामुमो की नेता और राज्यसभा सदस्य महुआ माझी ने सीता सोरेन के इस्तीफे को ‘स्तब्ध’ करने वाला फैसला बताया और उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. माझी ने कहा कि आंतरिक विवादों का समाधान सोरेन परिवार के अंदर ही कर लिया जाना चाहिए. तीन बार की विधायक सीता सोरेन का बीजेपी में शामिल होने का निर्णय अनुसूचित जनजाति के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाने के झामुमो के प्रयासों के लिए एक झटका है. यह समुदाय झामुमो का मुख्य वोट आधार रहा है. वहीं बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सीता रावण की लंका से आजाद हो गई हैं.’’
सीता सोरेन का इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1998 के उस फैसले को पलटने के एक पखवाड़े बाद आया है- जिस मामले में शिबू सोरेन आरोपी थे. कोर्ट ने कहा था कि जो सांसद और विधायक वोट देने या सदन में एक निश्चित तरीके से बोलने के लिए रिश्वत लेते हैं, उन्हें अभियोजन से छूट नहीं है. सीता सोरेन पर 2012 के राज्यसभा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार से रिश्वत लेने का आरोप है. अदालत के 1998 के झामुमो रिश्वत मामले में दिए गए फैसले से पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन को राहत मिली थी लेकिन उनकी पुत्रवधू सीता सोरेन की ही याचिका के बाद न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ ने चार मार्च को इस फैसले को पलट दिया था.
पिछले दिनों धनशोधन के एक मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीता सोरेन ने उनकी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कदम का विरोध किया था. तब सीता सोरेन ने कहा था, ‘‘मैं पूछना चाहती हूं कि कल्पना सोरेन ही क्यों, जो विधायक भी नहीं हैं और जिनका राजनीतिक अनुभव भी नहीं है. किन परिस्थितियों में अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनका नाम चलाया जा रहा है जबकि पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं.’’ उन्होंने कहा था, ‘‘अगर वे परिवार से ही किसी को चुनना चाहते हैं तो मैं सबसे वरिष्ठ हूं और करीब 14 साल से विधायक हूं.’’
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