आज घुंघरू टूट गये हैं. अब संकट मोचन मंदिर के उस छोटे से चबूतरे पर कोई हाथ की मुद्राओं से पानी की लहर पैदा नहीं कर पाएगा. अब कोई अपनी उंगलियों की हरकतों से महिलाओं के बाल लहरा नहीं पाएगा, और ना ही उस चबूतरे पर अब कोई मोर बनकर ऐसा नृत्य दिखाएगा कि, संकट मोचन हनुमान का मन और आंगन दोनों खिल उठे. कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज के निधन से ना केवल नृत्य विधा के एक युग का अंत हो गया बल्कि नृत्य का विशाल मंच भी सूना हो गया है.


83 साल की उम्र में भी ऊर्जा का ऐसा भंडार आपने और किसी शख्स में नहीं देखा होगा. तीन साल पहले 80 साल के होने के बावजूद कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज ने धर्म नगरी काशी की पहचान बन संकट मोचन के दरबार में हाजिरी लगाई थी, जहां वो पिछले तीन दशक से आते रहे थे. संकट मोचन संगीत समारोह में पंडित जसराज, पंडित राजन-साजन मिश्रा, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, सोनल मान सिंह, गुलाम अली और अनूप जलोटा जैसे देश के बड़े से बड़े संगीतकारों और कलाकारों ने प्रस्तुति दी है. लेकिन, कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का अलग ही जलवा था. ये चबूतरा उनके लिए दुनिया का सबसे बड़ा स्टेज था, जहां उनके शरीर का पोर-पोर खिल उठता था और उनकी अलग-अलग मुद्राएं मंत्रमुग्ध कर देती थीं.


भगवान राम के लिए सीना चीर लेने वाले संकट मोचन हनुमान के सामने पंडित बिरजू महाराज भी अपना दिल खोल देते थे. कई मौकों पर नृत्य कला के इस देवता को साक्षात देखने का मौका मिला. उनकी विविध मुद्राएं और पल-पल बदलने वाले चेहरे के हाव-भाव हतप्रभ कर देते थे. उनकी मनमोहक अदाएं सामने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती थीं. उनके नृत्य की इंद्रधनुषी मुद्राएं ऐसी थीं कि सामने वाला रीझ जाएं. लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित बिरजू महाराज का दिल काशी में ही बसता था. उन्होंने बेहद कम उम्र में नृत्य की सारी बारीकियां सीख ली थी. महज 13 साल की उम्र से पंडित बिरजू महाराज लोगों को नृत्य की शिक्षा दे रहे थे. उन्होंने नृत्य में लखनऊ घराने की सौगात दी और पिछले तीन दशक तक इसका प्रतिनिधित्व करते रहे. कथक नृत्य में उनसे बड़ा नाम आज तक नहीं हुआ है, और यही वजह है कि उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.


पंडित बिरजू महाराज के चाहने वाले पूरी दुनिया में हैं. पंडित बिरजू महाराज के निधन से बॉलीवुड में भी शोक की लहर है.


बॉलीवुड अदाकारा माधुरी दीक्षित ने उनके साथ की एक तस्वीर शेयर करते हुए भावुक श्रद्धांजलि दी. माधुरी दीक्षित ने ट्विटर पर लिखा 'वो महान थे और उनमें बच्चों जैसी मासूमियत थी. वो मेरे गुरु भी थे और दोस्त भी थे, उन्होंने मुझे नृत्य और अभिनय की पेचीदगियां सिखाईं साथ ही अपने मजाकिया अंदाज से मुझे हंसने के लिए मजबूर करते रहे.'


पंडित बिरजू महाराज ने मंच पर ही नहीं बॉलीवुड में भी अपना डंका बजाया था. सत्यजीत रे के साथ फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में उन्होंने कोरियोग्राफर की भूमिका निभाई थी. देवदास, दिल तो पागल है और डेढ़ इश्किया में माधुरी ने उनके इशारे पर नृत्य किया तो बाजी राव मस्तानी में दीपिका पादुकोण को उन्होंने नृत्य की बारीकियां सिखाई. कमल हासन उनके बड़े फैन थे. फिल्म विश्वरूपम में कमल हासन का नृत्य पंडित बिरजू महाराज जी ने ही कोरियोग्राफ किया था. कमल हासन ने अपने शोक संदेश में लिखा कि मैं उनके वीडियो देखकर नृत्य की मुद्राएं ऐसे ही सीखता था जैसे एकलव्य ने धनुर्विद्या गुरु द्रोण से सीखी थी.


पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज का जाना सबको खल गया है. लोक गायिका मालिनी श्रीवास्तव ने ट्विटर पर लिखा 'लखनऊ की ड्योढ़ी आज सूनी हो गई. कालिका बिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसारित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए.' हमने कला के क्षेत्र का एक बड़ा और अनोखा संस्थान खो दिया है. उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और ऐसा नृत्य कौशल अब शायद देखने को ना मिले. विनम्र श्रद्धांजलि.


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