जानिए- क्या थे वे 3 नए कृषि कानून जिनके खिलाफ एक साल से किसान कर रहे थे आंदोलन, आज PM Modi ने लिए वापस
पीएम मोदी ने गुरु पर्व के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. पिछले एक साल से किसान संगठन इन्हीं 3 कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन कर रहे थे.
Farms Laws: गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आज प्रधानमंत्री ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. बता दें कि पिछले एक साल से किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे थे. चलिए जानते हैं क्या थे वे तीन कृषि कानून
ये थे तीन नए कृषि कानून जिन्हें पीएम मोदी ने लिया आज वापस
पहला कृषि कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020. इसके अनुसार किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते थे. इतना ही नहीं बिना किसी अवरोध के दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते थे. कोई भी लाइसेंसधारक व्यापारी किसानों से परस्पर सहमत कीमतों पर उपज खरीद सकता था. कृषि उत्पादों का यह व्यापार राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए मंडी कर से मुक्त किया गया था.
दूसरा कृषि कानून - किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 था. यह कानून किसानों को अनुबंध खेती करने और अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से विपणन करने की अनुमति देने के लिए था. इसके तहत फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों द्वारा की जाती.
तीसरा कानून- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम.इस कानून के तहत असाधारण स्थितियों को छोड़कर व्यापार के लिए खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल और प्याज जैसी वस्तुओं से स्टॉक लिमिट हटा दी गई थी.
17 सितंबर 2020 को संसद में पास हुए थे तीनों कृषि कानून
गौरतलब है कि इन्ही तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था. इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी. किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी. जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई. किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
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