प्रयागराज। उत्तराखंड के हरिद्वार में कुछ महीनों बाद शुरू हो रहे कुंभ मेले के आयोजन पर बना सस्पेंस भले ही ख़त्म हो गया हो, लेकिन कोरोना काल में होने वाले इस बार के मेले में सिर्फ कुछ ही श्रद्धालुओं को प्रवेश मिल सकेगा. पहले की तरह इस बार हर कोई न तो मेला क्षेत्र में प्रवेश कर सकेगा और न ही अपनी पसंद की जगह जा सकेगा. पूरी मेला अवधि में हर रोज़ सिर्फ एक लाख तीस हज़ार श्रद्धालुओं को ही आने की इजाज़त होगी. कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या सीमित होने के चलते मेले के आयोजन से जुड़े अफसरों ने इस बार कुंभ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है. यह रजिस्ट्रेशन कुंभ के आयोजन से जुड़े पोर्टल पर होंगे. हरेक दिन के लिए सिर्फ उतने ही रजिस्ट्रेशन किये जाएंगे, जितनों को कोविड की गाइडलाइन का पालन कराते हुए सुरक्षित स्नान और पूजा अर्चना कराई जा सकती है.


रजिस्ट्रेशन कराने वालों को समय के साथ ही रूट और घाट की जानकारी दी जाएगी. जिसके लिए जो रास्ता और घाट तय होगा, उसको वहीं से जाना होगा. बिना अनुमति किसी दूसरी जगह जाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. यह फैसला यूपी और उत्तराखंड के अफसरों की कोआर्डिनेशन मीटिंग में लिया गया है. प्री रजिस्ट्रेशन समेत अन्य मुद्दों पर अभी त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की मुहर लगनी बाकी है. हालांकि संत महात्मा इस प्रस्ताव से कतई सहमत नहीं है और इस पर अपना एतराज़ जता रहे हैं.


दरअसल, देश में जिन चार जगहों पर कुंभ का मेला लगता है. उनमें सबसे बड़ा आयोजन प्रयागराज में होता है. पिछले साल यहां हुए कुंभ में दुनिया भर से तकरीबन पचीस करोड़ श्रद्धालु आए हुए थे. हरिद्वार-नासिक और उज्जैन के कुंभ मेले में हमेशा प्रयागराज के कुंभ में व्यवस्था संभालने वाले अफसरों और दूसरे लोगों से सलाह ही जाती है. उनसे मॉनिटरिंग भी कराई जाती है.


पिछले दिनों हरिद्वार में हुई उत्तराखंड के अफसरों की बैठक में प्रयागराज कुंभ से जुड़े रहे कुछ अफसरों को भी बुलाया गया था. इनमें ख़ास तौर पर प्रयागराज रेंज के आईजी पुलिस कवीन्द्र प्रताप सिंह भी शामिल थे. कवीन्द्र प्रताप सिंह प्रयागराज के कुंभ मेले के एसएसपी थे. उनके मुताबिक़ कोआर्डिनेशन बैठक में सुरक्षा और व्यवस्था के साथ ही सबसे ज़्यादा फोकस कोविड की गाइडलाइन का पालन कराते हुए लोगों को सुरक्षित स्नान कराने और उन्हें वापस भेजने पर रहा.


सीमित संख्या में कर सकेंगे दर्शन
बैठक में यह तय किया गया कि श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित करके ही लोगों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. यह आंकलन किया गया कि पुल- रास्तों और घाटों की संख्या बढ़ाए जाने पर भी हर दिन एक लाख तीस हज़ार से ज़्यादा लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा सकता. इसके लिए प्री रजिस्ट्रेशन का फार्मूला निकाला गया. यह तय किया गया कि जिन्हे कुंभ में स्नान व पूजा अर्चना के लिए आना है, उन्हें पहले से रजिस्ट्रेशन कराना होगा.


बिना रजिस्ट्रेशन नहीं मिलेगा प्रवेश
बिना रजिस्ट्रेशन वालों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही एंट्री प्वाइंट पर लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग - ऑक्सीजन लेवल और संदिग्ध लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट कराए जाने के भी सुझाव आए. इसके साथ ही भगदड़ और दूसरे हादसों से बचने के लिए वन वे ट्रैफिक करने पर भी सहमति बनी. आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक़ उत्तराखंड के अफसरों ने इन सभी पर अपनी सहमति दे दी है. अब वह प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंपेंगे, जिस पर अंतिम फैसला सरकार को ही लेना होगा. हालांकि उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही पास जारी करने के संकेत दे चुके हैं.


साधु संतों में नाराजगी
हालांकि साधू -संत श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किये जाने के प्रस्ताव से कतई सहमत नहीं हैं और खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ यह फैसला कतई सही नहीं है. किसी भी श्रद्धालु को रोका नहीं जाना चाहिए. निर्वाणी अखाड़े के श्री महंत धर्मदास भी इस फैसले से नाखुश हैं. उनका कहना है कि गाइडलाइन का पालन कराते हुए सभी को आने की इजाज़त मिलनी चाहिए.


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