उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित लोनी का इतिहास काफी पुराना है. पौराणिक कथाओं के अनुसार राम के छोटे भाई शत्रुघन ने इसी स्थान पर लवनासुर नामक राक्षस का वध किया था. वहीं इतिहासकारों के अनुसार यह क्षेत्र लोन्न करण नामक राजा का था. उसने यहां एक किले का निर्माण करवाया था लेकिन साल 1789 के बाद मोहम्मद शाह ने इस किले को ध्वस्त करवा दिया था. हालांकि लोनी नगर के नाम को लेकर अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मत है कुछ लोगों का मानना है कि यहां का पानी लवणीय (नमकीन) होने के कारण इस स्थान का नाम लोनी पड़ा.
कुछ अन्य इतिहासकारों के मुताबिक 12वीं शताब्दी के दौरान चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान के शासन काल के दौरान लोनी उनके साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने सम्राट समुद्रगुप्त के किले और कोट वंशीय कीले का जिर्णोद्धार करवाया था. आज भी इस किले के अवशेष यहां मौजूद है.
अफगानी राजा तैमूर ने भारत के उत्तरी हिस्से में प्रवेश करके दिल्ली सल्तनत पर हमला किया इसके बाद उसने लोनी के ऐतिहासिक किले की कीमती वस्तुओं को लुटकर उसे ध्वस्त करवा दिया था.
आज भी मौजूद है मुगल काल के बाग
मुगल काल के बनवाए गए तीन बाग यहां आज भी मौजूद हैं. पहला अरजनी बाग, दूसरा अलदीपुर बाग और तीसरा रानप बाग. अरजनी बाग और अलदीपुर बाग का निर्माण आखिर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की बीवी जीनत महल ने बनवाया था. हालांकि बाद में अंग्रेजों ने इस पर कब्जा करके मेरठ के शेख इलाही बख्श को बेच दिया. वहीं तीसरे बाग को आम लोगों ने धीरे-धीरे नष्ट कर दिया.
शत्रुघन ने यहीं पर किया था लवणासुर का वध
हिंदू मान्यता के अनुसार लोनी क्षेत्र में लवणासुर नामक राक्षस राज करता था. वह अक्सर साधु-संतों को परेशान करता था. लवणासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान परशुराम ने भगवान श्री राम के भाई शत्रुघन से उसके अत्याचारों से छुटकारा दिलाने का आग्रह किया जिसके बाद शत्रुघन ने लवणासुर का वध किया.
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