Result Phobia: परीक्षा में पेपर बिगड़ जाने और पैरेंट्स के डर से 14 बच्चे अपने घर से भागकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंच गए.  इनमें मध्य प्रदेश के छह जिलों और छह राज्यों के बच्चे शामिल हैं.इस मामले में अच्छी बात यह हुई कि इन  बच्चों की मुलाकात अच्छे लोगों से हुई, जिन्होंने इनको बाल कल्याण समिति को सौंप दिया. इनमें से 13 बच्चे 10वीं की परीक्षा देकर घर से भागे थे. वहीं एक बच्ची 9वीं की परीक्षा देकर भाग आई थी.


कहां कहां से भागकर भोपाल आए थे बच्चे


मध्य प्रदेश बाल कल्याण समिति के प्रमुख जागृति किरार के मुताबिक स्कूल में परीक्षा का पेपर बिगड़ने के कारण बच्चे घर से भागकर भोपाल पहुंचे थे. इनमें से 10 लड़कियां हैं. इनमें से किसी का गणित का पेपर बिगड़ा था तो किसी का सोशल साइंस का. घर से भागकर जब ये बच्चे भोपाल पहुंचे तो इनमें से कई को सड़क चलते राहगीरों ने पुलिस और जीआरपी के हवाले किया. ये बच्चे महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के रहने वाले हैं. वहीं मध्य प्रदेश के खंडवा, रीवा, मंडला, बारही, लखनादौ, पाटन और सिवनी से भागकर आए थे.


बाल कल्याण समिति ने इन सभी बच्चों की काउंसलिंग की. इस दौरान इन बच्चों को बताया गया कि परीक्षा में मिलने वाले अंक केवल नंबर भर हैं. वो जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. उन्हें बताया गया कि जीवन में सफलता अरग प्रतियोगी परीक्षा और अच्छे अंकों से निर्धारित होती तो महात्मा गांधी और बिल गेट्स कभी सफल नहीं हो पाते. महात्मा गांधी औसत दर्जे के छात्र थे तो बिल गेट्स 10वीं फेल है और उनकी पहचान दुनिया के बड़े बिजनेसमैन के रूप में है.


काउंसलिंग के बाद परिजनों को सौंपा


काउंसलिंग के बाद उनके परिजनों को भोपाल बुलाकर बच्चों को सौंप दिया गया. इन बच्चों के परिजनों का कहना है कि उन्होंने उन पर कोई दबाव नहीं बनाया था. समिति ने संबंधित राज्यों और जिलों की बाल कल्याण समिति को पत्र लिखकर इन मामलों का फालोअप करने का अनुरोध किया है.


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