MP High Court Order: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र से जबलपुर और सिवनी जिले के 17 बंधुआ मजदूर छुड़वाए गए. अब हाई कोर्ट ने पुलिस को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई के आदेश दिए हैं.एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पुलिस द्वारा महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के एक गांव से 17 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया. ये सभी मजदूर जबलपुर, सिवनी, धूमा और लखनादौन के रहने वाले हैं. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने संबंधित पुलिस थाने के अधिकारियों को बंधक बनाने वाले सिवनी के वीर सिंह उइके और सोलापुर महाराष्ट्र के विक्रम पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिए है.


17 मजदूर घर जाने के लिए स्वतंत्र
मामले का निराकरण करते हुए जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि मुक्त कराए गए सभी 17 मजदूर अपने घर जाने के लिए स्वतंत्र हैं. जबलपुर हाई कोर्ट में बरगी में रहने वाले जमना प्रसाद एवं कमला बाई,धूमा के गर्वनर उइके और लखनादौन के लक्ष्मण लाल ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एसएन सराफ ने कोर्ट को बताया कि याचिका दाखिल करने वाले परिवार के सदस्यों को उक्त दोनों आरोपियों ने बंधक बनाकर रखा है और उन्हें पैसे भी नहीं देते हैं. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए थे कि बंधक मजदूरों को अदालत में पेश करें. मामले पर सुनवाई के दौरान लखनादौन के एसडीओपी एसके अवस्थी ने सभी 17 मजदूरों को कोर्ट में पेश किया. 


आरोपियों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर
 उन्होंने कोर्ट को बताया कि सभी को कोल्हापुर जिले की ग्राम पंचायत तेरासवाड़ी से बंधनमुक्त कराया गया है. अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि वीर सिंह और विक्रम इन मजदूरों को बंधुआ की तरह इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके करवाई की जाएगी.


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