Mandsaur: थाने में FIR दर्ज कराने निकले किसानों पर बरसा दी गई थीं गोलियां, 6 साल बाद भी जांच रिपोर्ट का इंतजार
Mandsaur Firing Case: मंदसौर में नाराज किसानों ने व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर मोर्चा खोल दिया था. वे थाने पहुंचने वाले थे लेकिन बीच रास्ते ही उनपर गोलियां चला दी गईं.
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Mandsaur News: मंदसौर में 6 जून 2017 को हाईवे पर किसानों की भीड़ पर सीआरपीएफ (CRPF) ने गोलियां दाग दी थीं. इस हादसे में 5 किसानों की दर्दनाक मौत हो गई वहीं एक अन्य किसान ने 3 दिन बाद पुलिस की हिरासत में दम तोड़ दिया. इस गोलीकांड में कुल 6 किसानों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद जांच आयोग गठित हुआ लेकिन इसकी अंतिम रिपोर्ट क्या थी इसका खुलासा आज तक नहीं हो सका है. हालांकि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के रूप में घोषित 1-1 करोड़ रुपये दे सौंप दिए गए और मृतक के परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी गई.
मध्य प्रदेश में एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर 1 जून 2017 से समूचे प्रदेश में किसानों के प्रदर्शन चल रहा था. इस दौरान मंदसौर में भी प्रदर्शन हुआ. हालांकि आंदोलन इतना बड़ा नहीं था जितना अन्य स्थानों पर किया जा रहा था. यहां इस आंदोलन के समर्थन में एक जुलूस किसानों द्वारा निकाला गया था. किसानों ने मंडी के व्यापारियों से उस दौरान अपील की थी कि वह इस आंदोलन के समर्थन में अपनी दुकानों को बंद कर दें. वहीं बीजेपी से जुड़े अनिल जैन नामक एक व्यापारी ने अपनी दुकान को बंद करने से मना कर दिया बस इसी बात को लेकर व्यापारी और किसानों के बीच विवाद खड़ा हो गया.
एफआईआर दर्ज नहीं होने से नाराज थे किसान
इधर व्यापारियों ने पिपलिया मंडी थाने में प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज करवा दी वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो उनकी एफआईआर पुलिस ने दर्ज नहीं की. बताया जा रहा है कि इस दौरान किसानों के खिलाफ ही एक मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई थी. एकतरफा कार्रवाई होते देख प्रदर्शनकारी किसान और ज्यादा आक्रामक और उग्र हो गए. सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों ने इस बात का ऐलान कर दिया कि 6 जून को बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर वे पिपलिया मंडी थाने जाएंगे और आरोपी व्यापारी पर एफआईआर दर्ज करवाएंगे.
बिना इजाजत चला दी गई थी गोलियां
किसानों की भीड़ इकट्ठे होते देख उसे रोकने के लिए सीआरपीएफ की एक यूनिट यहां लगाई गई. स्थानीय पार्श्वनाथ चौपाटी पर भीड़ को शांत कराने की जिम्मेदारी स्थानीय सिटी एसपी साइन कृष्ण को दी गई इस दौरान प्रत्यक्षदर्शी कुछ किसानों ने बताया कि किसान और सीआरपीएफ के जवानों के बीच मामूली झड़प हुई थी जिसके बाद जवानों ने किसानों पर गोलियां दाग दीं. कहा यह भी जा रहा है कि सिटी एसपी के तरफ से ऐसा कोई आर्डर नहीं था और ना ही गोली चलाने का उनके पास अधिकार था. मामले में न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया. तत्कालीन एसपी ने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने ना तो कोई फायरिंग ऑर्डर दिया और ना ही उनके सामने फायरिंग की कोई घटना हुई है. यहां तक कि उन्हें 3 घंटे बाद भी फायरिंग के बारे में जानकारी नहीं थी.
HC ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने कहा
आयोग की रिपोर्ट को लंबे समय से सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई कर उसे विधानसभा पटल पर रखने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में 4 मई को एक जनहित याचिका दायर की गई. 2022 में दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 12 जून तक सरकार से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने का नोटिस जारी किया है.
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