Motivational Story: जबलपुर में पिछले 26 साल से लोगों की प्यास बुझा रहा है एक शख्स, इतने लीटर पानी रोज लोगों को पिला देते हैं
Motivational Story: शंकरलाल सुबह साइकिल से नर्मदा नदी जाते है, वहां से वो करीब 100 लीटर पानी छागलों में भरकर लोगों की प्यास बुझाने निकल पड़ते हैं. पानी खत्म होने पर वो फिर नर्मदा से पानी लाते हैं.
जबलपुर: प्यासे को पानी पिलाना इस दुनिया में सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है. बहुत से लोग गर्मी में प्याऊ लगवाकर यह सेवा देते हैं. लेकिन आज हम आप को जबलपुर के एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे है, जिसे प्यार से लोग वाटरमैन (WATERMAN) कहते हैं. यह शख्स पिछले 26 साल से अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों के कंठ की प्यास बुझा रहा है. भीषण गर्मी में भी 68 साल के शंकरलाल सोनी के पैर डगमगाते नहीं हैं और वे साइकिल पर सवार होकर रोजाना सैकड़ों लोगों की प्यास बुझाते है. इसके साथ-साथ वो ही लोगों को पानी बचाने का संदेश भी देते हैं.
चलता-फिरता प्याऊं
साइकिल पर पानी की छागल (WATER BAG) लेकर शंकरलाल सोनी पिछले 26 साल से चलता-फिरता प्याऊं चला रहे हैं. प्यासे को पानी पिलाने का उनका संकल्प कितना भी कठिन मौसम हो, डिगता नहीं है.जबलपुर के रहने वाले शंकरलाल सोनी की दिनचर्या पिछले 26 सालों से ऐसी ही चलती आ रही है. जब तापमान 44-45 डिग्री के ऊपर होता है और लोग घर से बाहर निकलना भी पसंद नहीं करते तो ऐसी तपती दोपहरी में भी शंकरलाल लोगों की प्यास बुझाने से नहीं चूकते. शंकरलाल रोज सुबह अपनी साइकिल से नर्मदा नदी जाते है, वहां से वो करीब 100 लीटर पानी अपनी छागलों में भरकर लोगों की प्यास बुझाने निकल पड़ते हैं. जब यह पानी खत्म हो जाता है तो फिर वो नर्मदा का साफ पानी लेकर लोगों की प्यास बुझाने का काम शुरू कर देते हैं.
क्या मिलता है शंकरलाल सोनी को
पेशे से समाचार पत्र विक्रेता शंकरलाल बताते हैं कि वह रोजाना करीब 400 लीटर पानी लोगों को पिला देते हैं. इसके एवज में वह किसी से भी पैसा नहीं लेते. यह सिलसिला 26 साल पहले शुरू हुआ था, जो बदस्तूर आज भी जारी है. शंकरलाल का कहना है कि इस काम से लोगों की प्यास तो बुझती है और उन्हें आत्मिक सुकून भी मिलता है.
शंकरलाल सोनी की इस पहल को लोगों ने चलता-फिरता प्याऊ नाम दिया है. शंकरलाल की साइकिल पर भी दोनों तरफ तख्तियां लगी हुई हैं. उसपर चलता-फिरता प्याऊ लिखा हुआ है. लोगों का कहना है इस भीषण गर्मी में जहां प्रशासन को जगह-जगह प्याऊ बनाना चाहिए और ठंडे पानी की व्यवस्था करनी चाहिए, ऐसे में ये जिम्मेदारी एक बुजुर्ग शख्स अपने कंधों पर लेकर चल रहा है, जो वाकई काबिले तारीफ है. शंकरलाल कि ये पहल दूसरे लोगों को भी प्रेरित करती है.
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