MP News:गोवंश पर अत्याचार के मामले में हाईकोर्ट की फटकार, कहा- 'हिंदू नहीं हो क्या? जानते नहीं कि गाय में वास करते हैं देवता'
गोवंश पर अत्याचार से जुड़े मामले में आरोपी को एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच से फटकार मिली.आरोपी की लापरवाही से 10 गौवंश की मौत हो गई थी.कोर्ट ने एक लाख रुपए जमा करने पर राहत देने के निर्देश दिये है.
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Gwalior News: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल ने सोमवार को एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपी को कड़ी फटकार लगाई. उन्होंने आरोपी से कहा कि,"हिंदू नहीं हो क्या, गाय में जानते नहीं कि देवता वास करते हैं."
बता दे कि इस मामले में हाईकोर्ट ने एक लाख रुपए नगद जमा करने की शर्त पर आरोपी को राहत देने का निर्देश दिया है. गोवंश पर अत्याचार से जुड़े मामले में आरोपी को एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच से फटकार मिली. इस मामले में आरोपी की लापरवाही से 10 गौवंश की मौत हो गई थी.
दरअसल, 6 मई 2023 से जेल में बंद आरोपी सुरेंद्र यादव की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई हो रही थी. इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि 22 मार्च 2023 को शिवपुरी पुलिस को सूचना मिली कि पडोरा पुल के पास एक ट्रक क्षतिग्रस्त हुआ है. उसमें 10 गोवंश मृत मिले थे.आरोपी ट्रक में तारपोलिन डालकर गोवंश ले जा जा रहा था. इसी दौरान दुर्घटना में वाहन क्षतिग्रस्त होने से गोवंश की मृत्यु हो गई.भोपाल निवासी आरोपी सुरेंद्र यादव ही ट्रक का मालिक है. दुर्घटना के समय गाड़ी भी वही चला रहा था.
बताते चले कि जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल ने बेहद नाराजगी जताते हुए आरोपी से कहा कि हिंदू नहीं हो क्या?, जानते नहीं कि देवता वास करते हैं गाय में.जस्टिस दीपक अग्रवाल ने एक लाख रुपए नगद जमा करने की शर्त पर आरोपी को जमानत का लाभ देने के निर्देश दिये है.
डीएसपी के खिलाफ रिकवरी निरस्त
इधर,मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने सेवानिवृत्ति के बाद डीएसपी के खिलाफ जारी की गई रिकवरी अवैधानिक पाते हुए निरस्त कर दी है. जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारी से वसूली गई राशि 90 दिन के भीतर लौटाएँ. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर 6 फीसदी वार्षिक दर से ब्याज देना होगा. मूलतः इंदौर के रहने वाले शशि प्रकाश दुबे ने याचिका दायर कर बताया कि वे जुलाई 2017 में बैतूल से डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशान्त अवस्थी, आशीष त्रिवेदी व असीम त्रिवेदी ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद सितंबर 2017 को रिकवरी नोटिस जारी किया गया. विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता को द्वितीय समयमान वेतन सितम्बर 2007 से दिया जाना था, परन्तु यह लाभ अप्रैल 2006 से दे दिया गया है, इसलिए अधिक भुगतान की गई राशि वापस की जाए.
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