MP Borewell Accident: मध्य प्रदेश में बोरवेल को खुला छोड़ने के खिलाफ कानून और सख्त होने जा रहा है. दूसरी तरफ बोरवेल के खुले गड्ढों की सूचना देने पर पुरस्कार की घोषणा हो गई है. माना जा रहा है कि नए एलान का सकारात्मक असर दिखाई देगा. एक दो वर्षों में बोरवेल के गड्ढे नहीं दिखाई देंगे. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बोरवेल के गड्ढों को खुला छोड़ना कानूनन अपराध है.


बोरवेल के गड्ढे में गिरने से कई बच्चों की जान जा चुकी है. दिसंबर 2022 में बैतूल में एक बच्चे की जान चली गई थी. हाल ही में विदिशा से भी बच्चे की मौत की खबर आई. 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरने से लोकेश नामक मासूम की मौत हो गई. बोरवेल खनन के लिए कई नियम बने हुए हैं. लापरवाही में लोग नियमों पर ध्यान नहीं देते. इसका खामियाजा छोटे-छोटे बच्चों को उठाना पड़ता है. विदिशा से पहले उज्जैन, इंदौर, छतरपुर, दमोह सहित कई जिलों में बोरवेल के गड्ढों से कई घटनाएं हो चुकी हैं.


नियम के अनुसार दी जाती है इजाजत


उज्जैन अपर कलेक्टर संतोष टैगोर का कहना है कि नियम और शर्तों के अनुसार बोरवेल की परमिशन दी जाती है. बोरिंग में पानी नहीं निकलने पर गड्ढा बंद करवाने की जवाबदारी जमीन मालिक की होती है. जान-माल की हानि होने पर जमीन मालिक की जवाबदेही तय की जाती है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जमीन मालिक पर अपराध दर्ज हुए हैं. बोरवेल का गड्ढा खतरनाक और खुला पाए जाने पर जमीन मालिक के खिलाफ धारा 188 में कार्रवाई होती है. 


भोपाल कलेक्टर ने घोषित किया इनाम


भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया की तरफ से जारी आदेश में एलान किया गया है कि बोरवेल के गड्ढे को खुला और खतरनाक हालत में होने की सूचना देने पर पुरस्कार मिलेगा. अन्य जिलों में भी प्रशासनिक अधिकारी बोरवेल से हादसों को रोकने के लिए आवश्यक निर्देश दे रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना


नलकूप खनन पर सुप्रीम कोर्ट का साल 2010 में आया आदेश बताता है कि गड्ढों को भरा जाना जरूरी है. गड्ढों को खुली हालत में छोड़ना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. गंभीर विषय पर मध्य प्रदेश सरकार और भी कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है. 


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