कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को बड़ी राहत, बैट से निगम अधिकारी पर हमला करने के मामले में कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
Akash Vijayvargiya News: साल 2019 में निगम अधिकारी पर बैट से हमला करने के मामले में इंदौर की कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट से कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को राहत मिली है.
Akash Vijayvargiya News: कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और बीजेपी के पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय को अदालत से बड़ी राहत मिली है. उन्हें इंदौर की कोर्ट ने उन्हें साल 2019 में क्रिकेट बैट से नगर निगम अधिकारी पर हमला करने के मामले में बरी कर दिया है. उनके साथ 9 अन्य को भी राहत दे दी है.
विधायकों और सांसदों से जुड़े मुकदमे सुनने वाली अदालत के पीठासीन अधिकारी (न्यायाधीश) देव कुमार ने आकाश विजयवर्गीय और नौ अन्य लोगों को आरोपों से मुक्त किया. बचाव पक्ष के वकील उदयप्रताप सिंह कुशवाह ने संवाददाताओं को बताया, 'अभियोजन इस मामले में अदालत में आरोप साबित नहीं कर सका. इस कारण अदालत ने विजयवर्गीय और नौ अन्य लोगों को बरी कर दिया, जबकि मामले के एक अन्य आरोपी की हत्या हो चुकी है.'
Indore court acquits former BJP MLA Aakash Vijayvargiya, 9 others in 2019 case of assault on civic official with cricket bat
— Press Trust of India (@PTI_News) September 9, 2024
उन्होंने कहा कि घटना के कथित वीडियो की प्रामाणिकता विशेष न्यायालय में साबित नहीं हो सकी और नगर निगम के शिकायतकर्ता अधिकारी धीरेंद्र सिंह बायस और अन्य गवाहों ने अभियोजन की कहानी का अदालत में स्पष्ट रूप से समर्थन नहीं किया. बता दें कि आकाश विजयवर्गीय, राज्य के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं.
कोर्ट ने 10 लोगों को किया बरी
अधिकारियों ने बताया कि तत्कालीन बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय और 10 अन्य लोगों के खिलाफ 26 जून 2019 को नगर निगम के भवन निरीक्षक बायस को क्रिकेट के बल्ले से पीटने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
इन धाराओं में था केस दर्ज
यह एफआईआर आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को भयभीत कर उसे उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिये उस पर हमला), 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकाना), 147 (बलवा) और 148 (घातक हथियारों से लैस होकर बलवा) के तहत दर्ज की गई थी.
क्या था पूरा मामला
कथित घटना के वक्त आकाश विजयवर्गीय शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र के एक जर्जर मकान को ढहाने की मुहिम का विरोध कर रहे थे. राज्य में कमलनाथ की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई इस घटना का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गया था और इसके बाद तत्कालीन बीजेपी विधायक को गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई थी.
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