MP News: देश में चर्चित घोटाले में से एक मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम ) के तहत मध्य प्रदेश में साल 2004 से 2014 के मध्य 79 परीक्षाएं आयोजित की गई थी. 2013 में व्यापम के घोटाले का सिलसिला शुरू हुआ था. जब पहली बार इंदौर पुलिस ने इस घोटाले में शामिल 20 मुन्ना भाइयों को गिरफ्तार किया था. ये मुन्ना भाई मूल परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने आए थे. जब इस पूरे मामले कि जांच कि गई तो इसमें परत दर परत खुलती गई और इस घोटाले मे कई बड़े लोगों ओर नेताओं के नाम सामने आने लगे थे. इस घोटाले के उजागर होने के बाद इससे जुड़े हुए 48 लोगों कि मौत भी हो चुकी है.



सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सुनाया फैसला
दरअसल, व्यापम घोटाले कि जांच के लिए प्रदेश सरकार ने एक जांच कमेटी विशेष कार्य बल (एस टी एफ) का गठन किया था, लेकिन देश कि सर्वोच्य न्यायलय ने जुलाई 2015 मे एक आदेश पारित कर मामले कि जांच देश कि सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी बी आई) को सौपने के लिए आदेश पारित किया था. सी.बी.आई. कि जांच के बाद इंदौर की विशेष सी.बी.आई. कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी को सोमवार को दोषी मानकर उसके खिलाफ फैसला सुनाया. इंदौर सीबीआई कोर्ट ने व्यापम मामले में एक आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई है. आरोपी (मुन्ना भाई) विनय कुमार मेहता को खंडवा में हुई पीएमटी की परीक्षा में शिशुपाल यादव के स्थान पर परीक्षा देते पकड़ा गया था.


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बनाए गए थे 17 गवाह
इस पूरे मामले में विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने बताया कि साल 2004 में खंडवा में आयोजित की गई पीएमटी परीक्षा में बिहार निवासी विनय कुमार मेहता को शिशुपाल यादव के स्थान पर परीक्षा देते हुए पुलिस द्वारा पकड़ा गया था. जिसके बाद आरोपी जमानत मिलने के बाद फरार हो गया था, जबकि असली परीक्षार्थी शिशुपाल यादव और मिडिल मैन अजीत सिंह के विरुद्ध केस खंडवा में चलाया गया था. खंडवा न्यायालय ने तब मिडिल मैन अजीत सिंह को दोषमुक्त कर दिया था वहीं शिशुपाल यादव को 2015 में सजा सुनाई गई थी. साल 2015 में मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया. सीबीआई ने विनय को ढूंढ कर न्यायालय में पेश करते हुए चार्जशीट भी पेश की जिसमें 17 गवाह बनाए गए थे. जिसके चलते सोमवार इंदौर सीबीआई कोर्ट ने विनय कुमार मेहता को दोषी मानते हुए धोखाधड़ी की अलग अलग धाराओं में 7 साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया है.