Worldwide Book of Records: महज 3 साल और 11 महीने की उम्र में अनघ चित्तौड़ा ने विश्व रिकॉर्ड बना लिया है. नन्हे से अनघ को अपनी इस उपलब्धि पर चारों ओर से प्रशंसा मिल रही है. अनघ चित्तौड़ा ने करोड़ की संख्या तक के नंबर को पढ़कर उसमें बड़े और छोटे का अंतर बता दिया. यह इंदौर शहर के लिए गौरव की बात है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनघ चित्तौड़ा रिकॉर्ड बनाकर इंदौर शहर का नाम रोशन कर रहे हैं. यह इंदौर शहर के लिए गौरव की बात है कि विश्व स्तर पर अनघ चित्तौड़ा ने उपलब्धि हासिल कर शहर को गौरवान्वित किया है. अनघ चित्तौड़ा को अंकों का बड़े और छोटे का ज्ञान है. वहीं, वह रामचरितमानस की चैपाइयों और संस्कृत के श्लोकों का वाचन करते हैं. अनघ चित्तौड़ा के पास बहुत सारी विधाएं हैं. उसे मसालों और खाने के सामान के नाम की पहचान के साथ-साथ उसका स्वाद भी पता है.
कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं. यानी बच्चे के भविष्य क्या होगा, उसे वर्तमान से जाना जा सकता है. ऐसा ही नन्हा बालक है अनघ चित्तौड़ा. अनघ अभी चार साल का भी नहीं है. खिलौनों से खेलने की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्डवाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा लेने वाला अनघ भले ही इस अवॉर्ड में मिले सर्टिफिकेट, मेडल और प्रमाण को अपने खिलौनों का ही हिस्सा मान रहा हो, लेकिन इंदौर के चित्तौड़ा परिवार के लिए ये गर्व महसूस करने का पल है. अनघ की मां इसे ईश्वरी वरदान मानते हुए खुशी महसूस कर रही हैं कि कुशाग्र बुद्धि के बेटे की मां कहलाने का उसे गौरव हासिल हो रहा है.
दुनियाभर में किसी बच्चे के नाम दर्ज नहीं हुआ यह रिकॉर्ड
हम आपको बता दें कि मास्टर यानी विशेषता के चलते वर्ल्डवाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड में अनघ का नाम दर्ज हुआ. कई अंकों वाली करोड़ों की संख्या जैसे लिख पाना तो दूर पढ़ना भी बड़ी उम्र के बच्चों के लिए मुश्किल हो जाता है. उसे बहुत ही सहज रूप में पढ़कर बता देना और लिख देना अनघ की पहली खासियत है. करीब 50 बड़ी छोटी संख्या को मात्र 5 मिनट 20 सेकंड में बता देना अनघ की खासियत रही, जिसे वर्ल्डवाइड मुकाबले की टीम ने माना कि ऐसा रिकार्ड दुनिया में अभी तक किसी बच्चे के नाम नहीं है और यही खूबी अनघ की पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि में दर्ज हुई.
मास्टर अनघ की मां श्रद्धा पेशे से शिक्षिका हैं और पिता प्रणय पूर्व महापौर वर्तमान विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ के निजी सहायक है. श्रद्धा बताती है कि अनघ की शुरुआती दौर से ही कुशाग्र बुद्धि है. उन्होंने कहा कि मैं खुद एक टीचर हूं, मैं क्लास लेती हूं तो मैंने देखा है कि बच्चों को ये सब इतना जल्दी नहीं आता. वहीं अनघ ने ये सब कम उम्र में ही सीख लिया.
चौपाइयां और संस्कृत श्लोक भी हैं कंठस्थ
परिवार में दादा, दादी और अन्य परिजनों से मिले संस्कार के चलते उसे रामचरित मानस की चौपाइयां और संस्कृत के श्लोक भी कंठस्थ हो गए हैं. इन तमाम खूबियों के अलावा अनाज, मसालों, ड्राई फ्रूट्स की पहचान, नाम और स्वाद तक अनघ को पता हैं. वाकई में एक छोटी सी उम्र में बच्चा जब खिलौने के अलावा किसी और चीज़ को पसंद करने में या स्कूल जाने में कतराता, इसी मेहनत के साथ जिस रुचि के साथ अंकों से खेलता है और किसी भी चीज़ के बारे में जानने समझने को उत्सुक रहता है. यकीनन ये सारी बातें उसके सुनहरे भविष्य की ओर इशारा करती नजर आती हैं.
यह भी पढ़ें: Madhya Pradesh Election 2023: 'जन आशीर्वाद' यात्रा को लेकर बीजेपी में असमंजस, जानें किस बात पर फंसा है पेच