Annual Status of Education Report: शिक्षा की वार्षिक स्थिति पर बुधवार को एएसईआर (ASER) रिपोर्ट जारी की गई है. एएसईआर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार अटेंडेंस के मामले में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे पीछे है. यह आंकड़े देशभर के 616 जिलों के सरकारी स्कूल में सर्वेक्षण के बाद पता चला है. इसके साथ ही देशभर में स्कूल में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वहीं प्रथम फाउंडेशन ने जो सर्वे किया उसमें पता चला है कि ओवर ऑल दो प्रतिशत बच्चे ही ऐसे हैं जिन्होंने एनरोल नहीं किया है.
सरकारी स्कूलों में नामांकन में तेजी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महामारी के दौरान लंबे समय तक बंद रहा. इसके बावजूद 2018 के बाद से सरकारी स्कूलों में नामांकन में तेजी के साथ स्कूल नामांकन के आंकड़े बढ़े हैं. वर्तमान में छह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के नामांकित नहीं बच्चों का अनुपात 2018 में देखे गए अनुपात से लगभग आधा है. वहीं शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से दशक में सबसे कम है.
19060 गांवों का सर्वेक्षण
ASER के सर्वे में भारत में कुल 19,060 गांवों का सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें 3,74,544 परिवार और तीन से 16 वर्ष की आयु के 6,99,597 बच्चे शामिल हैं. वहीं भारत में स्कूल न जाने वाली लड़कियों का अनुपात 2022 में अब तक के सबसे निचले स्तर दो प्रतिशत पर आ गया है. 2006 में 11-14 आयु वर्ग की स्कूल से बाहर लड़कियों के प्रतिशत के लिए राष्ट्रीय आंकड़ा 10.3 फीसदी था, जो अगले दशक 2018 में गिरकर 4.1 फीसदी हो गया और यह अनुपात लगातार गिरता जा रहा है. चार साल बाद 2022 में 11-14 आयु समूह के तहत स्कूल न जाने वाली लड़कियों का आंकड़ा दो प्रतिशत है. यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश में लगभग चार प्रतिशत है और अन्य सभी राज्यों में कम है.
इन राज्यों में अटेंडेंस सबसे कम
वहीं सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि स्कूलों में छात्र और शिक्षक दोनों की अटेंडेंस स्थिर रही है. बच्चों की उपस्थिति का आंकड़ा 72% के करीब है, जबकि शिक्षकों के मामले में यह आंकड़ा 85% से थोड़ा ज्यादा है. सबसे कम अटेंडेंस वाले राज्यों में यूपी, एमपी, बिहार, त्रिपुरा हैं, जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक उपस्थिति दर्ज की गई है. वहीं रिपोर्ट में ट्यूशन लेने वाले छात्रों में भी बढ़ोतरी दिखाई गई है. 2018 से 2022 के बीच सभी राज्यों में ट्यूशन क्लासेस लेने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और त्रिपुरा में कोई बदलाव दर्ज नहीं किया गया है.