Rani Kamlapati Mahal Bhopal: भोपाल में रानी कमलापति का महल है. माना जाता है कि इस महल को 17वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में बनाया गया था. रानी कमलापति इस महल में रहती थीं, इसलिए रानी के नाम पर इस महल का नाम रखा गया है. लेकिन इस महल से कई रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं. हम इन्हीं कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं. 


बेहद खूबसूरत थीं रानी कमलापति 
कमलापति महल की कहानी सुनते ही रानी पद्मावती की कहानी सुनने जैसा अहसास होता है. जिसमें रानी की खूबसूरती के कारण राजा संकट में आ जाते हैं और बाद में रानी की सूझ-बूझ काम आती है. कथाओं के मुताबिक, खूबसूरत रानी कमलापति को पाने के लिए बाड़ी के राजा चैन शाह ने निजामशाह का धोखे से कत्ल कर दिया. खुद को सुरक्षित रखने के लिए रानी कमलापति अपनी कुछ दासियों के साथ इस महल में आ गईं. यहां आकर उन्होंने दोस्त मोहम्मद को भाई बनाया और अपना बदला लेने के लिए कहा. चैन शाह की मृत्यु के बाद उन्होंने मुख्य किला दोस्त मोहम्मद खां को दे दिया. बाद में, दोस्त मोहम्मद ने भोपाल के किले को हथियाने के लिए चढ़ाई कर दी. जब, रानी के बेटे ने भी इस लड़ाई में जान गंवा दी, तो रानी ने खुदकुशी कर ली. 


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महल के अंदर होता था बारिश का आभास 
कमलापति का किला मुगलकालीन स्थापत्य कला से मेंल खाता है. जिसमें गोंड कालीन कला भी दिखाई देती है. छोटे तालाब की सतह पर महल में दो कमरे हैं, जिनके ऊपर एक टंकी बनी हुई है, इसकी सतह पर टेराकोटा के पाइप नजर आते हैं. महल के आर्किटेक्चर को देखें तो समझ में आता है कि इन दो कमरों को इस तरह से डिजाइन किया गया कि, कुआं या तालाब जो कुछ भी यहां रहा होगा, उससे पानी टंकी में लिफ्ट किया जाता था और फिर पाइप से कमरों के झरोखों के सामने इस तरह खोला जाता था कि, अंदर बैठे व्यक्ति को बाहर बारिश होने का आभास हो.


बता दें कि 1989 में कमलापति महल को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को सौंपा गया था. इस वक्त जब यहां से मलबा हटाया जा रहा था, तब यहां एक बंद मुंह का घड़ा मिला था, जिसको देखकर काम को तुंरत रोक दिया गया और सीनियर आर्कियोलॉजिस्ट की देख-रेख में महल का काम इस मंशा के साथ बारीकी से किया जाने लगा कि महल में खजाना मिल सकता है.


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