MP Election 2023: मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देने में बीजेपी (BJP)और कांग्रेस (Congress) लगी हुई हैं. मध्य प्रदेश का चुनाव (MP Assembly Election 2023) मोटे तौर इन दोनों दलों के बीच ही लड़ा जाता है. लेकिन इस बार के चुनाव में एक तीसरा मोर्चा भी आकार ले रहा है. इस तीसरे मोर्चे की एक प्रमुख पार्टी है असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम.यह गठबंधन इस बार बीजेपी-कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकता है.आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने पहले ही प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर रखा है. 


कौन कौन दल एक साथ आए हैं


राजधानी भोपाल के गांधी भवन में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन, भारतीय गोंडवाना पार्टी, जन विकास पार्टी, जयस, परिवर्तन पार्टी ऑफ इंडिया, इंकलाब विकास दल और ओबीसी महासभा ने बुधवार को एक बैठक की. इसमें इन दलों ने आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की. इस तीसरे मोर्चे को संविधान मोर्चा का नाम दिया गया है. ‘अपनी सरकार बनाओ-संविधान बचाओ मोर्चा’ इस गठबंधन का नारा है. 


संविधान मोर्चा का फोकस मध्य प्रदेश की आदिवासी बहुल 80 सीटें हैं. इनमें से आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों पर तो यह गंठबंधन अपने उम्मीदवार उतारेगा. इनके अलावा उन सीटों पर जहां आदिवासी वोटों की संख्या अधिक हैं, उन सीटों पर भी चुनाव लड़ने की योजना है. हालांकि इस संविधान मोर्चा ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. 


कितने दल और साथ आ सकते हैं


संविधान मोर्चा में अभी आठ दल हैं, लेकिन भविष्य में इनकी संख्या बढ़कर 15 तक होने का अनुमान है. इसमें शामिल दल अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभाव रखते हैं. इसी वजह से तीसरे मोर्चे ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.


आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुकी है. वहीं बसपा भी मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने दो और बसपा ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी. 


मध्य प्रदेश का चुनावी रण


पिछले करीब 20 साल से मध्य प्रदेश पर काबिज बीजेपी एक फिर अपनी सरकार बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है.वहीं पिछले चुनाव के बाद प्रदेश में अपनी सरकार बना कर गंवाने वाली कांग्रेस इस बार के चुनाव के जरिए सत्ता में वापसी की जोर-आजमाइश कर रही है. वो 2018 के परिणाम को सुधारना चाहती है. इन सबके बीच तीसरे मोर्चे की आहट इन दोनों दलों के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है. 


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