(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rangpanchmi 2022: रंगपंचमी पर MP में यहां होगा बड़े मेले का आयोजन, तीन दिन के इस प्रोग्राम की ये बातें हैं खास
Ashoknagar News: रंगपंचमी पर मध्य प्रदेश के अशोकनगर में विशेष 3 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. इसके लिए प्रशासन खास तैयारी करता है. इस बार यह मेला 21, 22 व 23 मार्च 2022 तक आयोजित किया जाएगा.
MP Rangpanchmi Celebration: मध्य प्रदेश के अशोकनगर (Ashoknagar) जिले के ग्राम करीला में प्रतिवर्ष रंगपंचमी पर विशाल मेला का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष यह मेला 21, 22 व 23 मार्च 2022 तक आयोजित किया जाएगा. मां जानकी करील के ऐसे घने जंगल में ऋषि बाल्मीकी के आश्रम में लव-कुश के साथ रहीं थीं. इसलिए इसे करीला कहा गया. मेले में लगभग 20 लाख श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य सुविधाओं के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं.
मां जानकी के दर्शन कर लाखों श्रद्धालु लेते हैं आर्शीवाद
रंगपंचमी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का करीला धाम आना प्रारंभ हो जाता है. रंगपंचमी के दिन व रात में लाखों श्रद्धालु मां जानकी के मंदिर में शीश नवाते हैं और दर्शन लाभ लेकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मन्नतें पूरी होने पर हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर के बाहर राई नृत्य करवाते हैं. करीला के मुख्य मंदिर में मां जानकी के साथ-साथ महर्षि वाल्मीकि व लव-कुश की प्राचीन प्रतिमायें स्थापित है.
मां जानकी दरवार की भभूति से फसलों के होते है रोग दूर
मां जानकी माता के दरवार पर जो श्रद्धालु आते है. दर्शन लाभ लेकर श्रद्धालु मां जानकी दरवार की भभूति अपने साथ ले जाते है. इस भभूति को फसल के समय खेतो में फसलों पर छिड़की जाती है. यदि फसल में इल्ली लग जाती है तो भक्तजन मां के दरबार की भभूति खेतों में डालते है. लोगों की मान्यता है कि इस भभूति से फसलों में लगे रोग एवं इल्ली दूर हो जाती है.
नृत्यांगनाएं ओढ़नी से घूंघट डाले नगड़ियों की गूंज एवं मृदंग की थाप पर लम्बे घेर वाले लंहगे एवं पैरों में घुंघरू की खनखनाती आवाज पर मनमोहक अदाओं के साथ रातभर नृत्य करती रहीं. ऐसा लग रहा था मानो अप्सराएं जमीन पर उतरकर जन्मोत्सव की खुशी मना रही हों. भोर होने पर नृत्यांगनाओं द्वारा प्रस्तुत बधाई नृत्य के साथ मेला का समापन होता है.
जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा कराई जाती हैं समुचित व्यवस्थाएं
करीला मेले की सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ-साथ सम्पूर्ण मेला की व्यवस्थाएं जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा कराई जाती हैं. मेला परिसर में पेयजल सहित विद्युत, स्वच्छता तथा सुरक्षा की बेहतर व्यवस्थाएं रहती हैं. जिले के सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मेला व्यवस्थाओं के लिए दायित्व सौंपे जाते हैं. जिसके तहत सभी अधिकारी एवं कर्मचारी पूरी मुस्तैदी के साथ कार्य करते हैं. सेक्टर मजिस्ट्रेटों द्वारा दर्शनार्थियों को कोई असुविधा न हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है. पुलिस के जवान मंदिर परिसर में निर्मित 35 फिट वॉच टावर पर पहुंचकर दूरबीन से तथा ड्रोन कैमरों से सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं. साथ ही मंदिर परिसर एवं मेला स्थल पर लगाए गए सी.सी.टी.वी. कैमरों से मेले पर सतत निगरानी रखी जाती है.