MP Election: BJP के गढ़ से कमलनाथ का CM शिवराज पर तंज, कहा- 'मुंह चलाने और प्रदेश चलाने में...'
MP Assembly Election: पूर्व सीएम कमलनाथ ने तंज कसा कि शिवराज सिंह को पिछले छह-आठ महीने से बहनें याद आने लगी हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महिलाओं पर अत्याचार अपने प्रदेश में ही हुए हैं.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ भोपाल में तल्ख तेवर दिखाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मुंह चलाना बंद कीजिए, मुंह चलाने और प्रदेश चलाने में बड़ा अंतर है. नौजवानों के लिए रोजगार की चिंता कीजिए. रोजगार मंदिर या मस्जिद जाने से नहीं बल्कि निवेश से मिलेगा. कमलनाथ अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) पर गोविंदपुरा विधानसभा में आमसभा को संबोधित कर रहे थे. गोविंदपुरा विधानसभा बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट पर मानी जाती है. कमलनाथ बीजेपी के गढ़ में गरजे. उन्होंने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार ने ठेके में 25 प्रतिशत एडवांस से अपना कमीशन बना लिया. उन्होंने कहा कि अपना प्रदेश हर जगह खोखला हो गया है. अस्पताल, स्कूल देखो की हालत सबसे सामने है. कांग्रेस के कार्यकाल में हमने नीति और नियत का परिचय दिया. हमें सिर झुकाने की जरूरत नहीं, गवाह आम जनता है.
'शिवराज को अब बहनें याद आ रहीं'
पूर्व सीएम कमलनाथ ने तंज कसा कि शिवराज सिंह को पिछले छह-आठ महीने से बहनें याद आने लगी हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महिलाओं पर अत्याचार अपने प्रदेश में ही हुए हैं. सीएम शिवराज कहते हैं मामा हूं, किसान का बेटा हूं. दो-तीन महीनों में बारिश और ओलावृष्टि से फसल नुकसान का कितनों को मुआवजा मिला. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुंह चलाने और प्रदेश चलाने में बहुत अंतर है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने मुख्यमंत्री से किसानों के लिए मुआवजा, नौजवानों के लिए रोजगार की मांग की. मुख्यमंत्री शिवराज के एक लाख रोजगार वाले दावे पर उन्होंने सवाल उठाए. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज को खाली पदों पर भर्ती की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि पहले खाली पद भर लीजिए, बाकी बात बाद में करेंगे.
बीजेपी के गढ़ से कमलनाथ का हमला
पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की सरकार बनने पर रोजगार देने का वादा किया. उन्होंने कहा कि रोजगार हमारे नौजवानों की सबसे बड़ी चुनौती है. रोजगार मंदिर या मस्जिद में जाने से नहीं बल्कि निवेश से मिलेगा.
बता दें कि भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट का गठन साल 1967 में हुआ था. साल 1967 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया था और केएल प्रधान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 1972 में मोहनलाल अस्थाना भी कांग्रेस से विधायक बने. साल 1977 में गोविंदपुरा विधानसभा की सीट बीजेपी के खाते में चली गई और लक्ष्मीनाराण शर्मा बीजेपी से विधायक बने. इसके बाद मानो बाबूलाल गौर ने इस सीट को अपने नाम ही कर लिया हो. साल 1980 में पहली बार बाबूलाल गौर इस सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद आठ बार विधायक बने. वर्तमान में बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर विधायक हैं.
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