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MP: दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह बोले- नहीं ठुकराना चाहिए था राम मंदिर का न्योता, बताया अब क्या होगा इसका नुकसान
Ram Mandir Inauguration: लक्ष्मण सिंह ने कहा कि जिन्होंने ये सब लड़ाई लड़ी है तो निर्णय भी वहीं लोग करेंगे. उन्होंने निर्णय लिया है, लेकिन निमंत्रण को ठुकराने का क्या मतलब है.
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Congress Decline Ram Mandir Pran Pratishtha Invite: अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराने पर कांग्रेसी आलाकमान अब अपने ही नेताओं के निशाने पर आ रहा है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अब कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव में परिणाम भुगतना होंगे.
कांग्रेस के पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा, "जो लोग राम मंदिर आंदोलन में लड़े, वे स्पष्ट रूप से प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में निर्णय लेंगे. उन्होंने निर्णय ले लिया है, जहां तक निमंत्रण का सवाल है, इसे अस्वीकार करने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं? जब राजीव गांधी ने इसे अनलॉक करवाया था तो आप कौन होते हैं इसे अस्वीकार करने वाले? अगर हमारा नेतृत्व ऐसे सलाहकारों को रखता है तो परिणाम वहीं होंगे जो अब तक आए हैं." लक्ष्मण सिंह ने कहा कि नुकसान हो गया है, यह आगामी लोकसभा चुनाव में दिखेगा.
'राजीव गांधी ने खुलवाया था ताला'
पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था. यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह ने वहां 46 एकड़ जमीन राम मंदिर न्यास को देने की बात कही थी. उन्होंने वहां पर भव्य मंदिर निर्माण की बात कही थी. दुर्भाग्यवश वो पद से हट गए. इसी बीच राजीव गांधी की हत्या हो गई. यह मामला खटाई में पड़ गया. उसके बाद स्थानीय और पूरे देश के साधु संतों ने इस लड़ाई को लड़ा. बुद्धजीवी जुड़े, पत्रकार जुड़े, राजनीतिक दल जुड़े. एक बहुत लंबी लड़ाई को लडक़र उन्होंने जीत हासिल की. उसके बाद उन्होंने इस निर्माण कार्य कार्य शुरू करवाया.
निमंत्रण ठुकरा कर क्या संदेश दिया?
पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा, "जिन्होंने ये सब लड़ाई लड़ी है तो निर्णय भी वहीं लोग करेंगे. उन्होंने निर्णय लिया है, लेकिन निमंत्रण को ठुकराने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं. जब राजीव गांधी ने वहां ताला खुलवाया था तो आप कौन है, मना करने वाले? इस तरह के सलाहकार अगर हमारा नेतृत्व रखेगा तो फिर क्या कहेंगे, जैसे परिणाम आ रहे हैं, वो आते रहेंगे. पुनर्विचार करें या ना करें. बयान बदले या न बदलें, जो नुकसान होना था, वो हो चुका है. ये चुनाव में दिख जाएगा."
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