Bageshwar Dham Sarkar: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के चमत्कारी बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की भभूति भी एक दस साल की बच्ची की जान न बचा सकी. बच्ची को मिर्गी (फिट) के दौरे आते थे. उसे रविवार को जिला अस्पताल लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. परिवार के लोग बागेश्वरधाम के चमत्कार को सुनकर यहां आए थे. बच्ची की मामी गुड्डी ने बताया कि 10 वर्षीय विष्णु कुमारी के पिता बुधराम उसे 17 फरवरी को राजस्थान के बाड़मेर से बागेश्वर धाम लाए थे. 


माता-पिता 17 फरवरी को लाए थे बागेश्वर धाम 


पिता के साथ बच्ची की मां धम्मू देवी और मामी गुड्डी भी बागेश्वर धाम आई थीं. परिजनों के मुताबिक, बच्ची को डेढ़ साल से मिर्गी के दौरे आते थे. उन्होंने यहां के चमत्कार को सुना तो वे उसे लेकर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के पास आए. बच्ची की मामी गुड्डी के मुताबिक, विष्णु कुमारी को बागेश्वर धाम में भी लगातार मिर्गी के दौरे आ रहे थे. शनिवार को रात भर बच्ची जागती रही. रविवार को जब दोपहर में उसकी आंखें झपकीं तो परिजनों को लगा बच्ची सो गई है.


कुछ देर शरीर में हलचल न होने के बाद उन्हें आशंका हुई तो वे उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. परिजन बच्ची को पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के पास ले गए थे. उन्होंने भभूति भी दी पर बच्ची नहीं बची तो बोले शांत हो गई है, ले जाओ.


अस्पताल में भी हुई बहुत परेशानी


छतरपुर के जिला अस्पताल में भी परिजनों को तमाम तकलीफों से गुजरना पड़ा. पहले उन्हें अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिला तो वे उसे गोद में  उठाकर अस्पताल के अंदर ले गए. इतना ही नहीं जिला अस्पताल में चेकअप और मौत की पुष्टि करने के बाद परिजन उसे अपने घर राजस्थान बाड़मेर ले जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली. 11 हजार 500 रुपये की प्राइवेट एंबुलेंस से वे बच्ची के शव को लेकर बाड़मेर रवाना हुए.


14 फरवरी को भी हुई थी एक बीमार महिला की मौत


लाखों लोगों की आस्था के केंद्र बागेश्वरधाम में इसके पहले 14 फरवरी को भी एक बीमार महिला की मौत हो गई थी. महिला का नाम नीलम देवी था और वह उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की रहने वाली थी. महिला के पति ने बताया था कि, वह बीमार थी. पति ने बताया कि हम रोज परिक्रमा लगा रहे थे, लेकिन बीच- बीच में उसकी तबीयत खराब हो जाती थी.14 फरवरी को भी उसकी तबियत खराब हो गई थी. संन्यासी बाबा उसे ठीक करते थे, डॉक्टर अचंभित थे कि वह कैसे चल रही है. वह आराम से खा रही थी और घूम रही थी.


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