Bageshwar Dham Dhirendra Krisna Shastri: 'गरीबी का खूब मजाक उड़ाया जाता है. हमारे देश में नियमों का पालन भी केवल गरीब को ही करना पड़ता है, अमीरों को नहीं. चालान भी होता है, तो सिर्फ गरीब का. मास्क भी पहनना पड़ता है तो सिर्फ गरीब को....' ये बातें कहते हुए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री रो पड़े. 


दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री के सत्संग का एक वीडियो सामने आया, जो कुछ महीने पुराना है. इस सत्संग में बागेश्वर समर्थकों से बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री अपना बचपन याद करने लगे और बताया कि उनके परिवार ने बहुत गरीबी में अपना जीवन गुजारा है. धीरेंद्र शास्त्री मध्य प्रदेश के छत्तरपुर के एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं और भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उन्होंने बताया कि पिताजी कुछ करते नहीं थे, इस वजह से उन्होंने 8 साल तक भीख मांगकर जीवन यापन किया. यह कहते हुए धीरेंद्र शास्त्री भावुक हो गए कि बचपन की कुछ यादें आज भी उनके दिल को झंझोर देती हैं. 


बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि बचपन से ही उनकी तिलक लगाने की आदत थी, लेकिन स्कूल के कुछ बच्चे जबरन उनके बाल पकड़कर तिलक मिटा देते थे. वह विरोध नहीं कर पाए, क्योंकि गरीब घर से आते थे. त्योहारों के समय भी दोस्त नए कपड़े पहनते थे, लेकिन उनके पास केवल एक ही कपड़ा होता था. 


एक और किस्सा याद करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत के पाठ के लिए उन्हें वृंदावन आना था, लेकिन किराये के भी पैसे नहीं थे. जब उन्होंने मदद के लिए गांव वालों से बात की तो किसी ने उन्हें उधार नहीं दिया. लोग सोचते थे कि अगर पैसे दे दिये, तो लौटा नहीं पाएगा. इस वजह से वह वृंदावन नहीं जा पाए, लेकिन भगवान में विश्वास अडिग रहा. 


'आज 70 हजार लोग नि:शुल्क भोजन पाते हैं'
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि उनकी मां कहती थीं कि घर से निकलना तो मुस्कुराते चेहरे के साथ निकलना, कोई यह न समझे कि हम भूखे. हैं. क्योंकि भगवान हमारे साथ है. मां के इस विश्वास ने रंग दिखाया और आज बागेश्वर धाम में हर दिन नि:शुल्क भंडारा आयोजित होता है. धीरेंद्र शास्त्री बोले कि जब उनकी जेब में पैसे नहीं थे, तो उन्होंने यह सोचा था कि जिस दिन 2 रुपये भी आएंगे, वह गरीब को भोजन करा देंगे. एक आज का दिन है जब बागेश्वर धाम में हर महीने 70-80 हजार लोगों को नि:शुल्क भोजन मिलता है.