Dhirendra Krishn Shastri: बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) अपनी चमत्कारिक शक्तियों की वजह से इन दिनों मीडिया सुर्खियों में छाए हुए हैं. दरअसल, बागेश्वर सरकार का दावा है कि वे लोगों के मन की बात जान जाते हैं. इतना ही नहीं, वे किसी भी व्यक्ति के बिना बताए उनकी समस्या और उनके समाधान लिखकर रख देते हैं. इसके बाद वे अचानक उनका नाम पुकारते हैं, तो जो व्यक्ति सामने आता है. वह वही समस्या बताता है, जो बाबा ने पहले से कागज के पर्चे पर लिख रखी होती है.


इन दिनों धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की कथा छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर में चल रही है. अपने कथित चमत्कार को लेकर वे यहां भी सुर्खियों में हैं. उनके खिलाफ अंधविश्वास फैलाने के आरोप लग रहे हैं. इस बीच रायपुर (Raipur) में बागेश्वर धाम सरकार अपने चमत्कार का लाइव डेमो देकर खुद को सिद्ध करने का दावा कर रहे हैं. 


गुरु से प्रसाद के रूप में मिला था पात्र
इस बीच ये सवाल पैदा हुआ कि आखिर बाबा की शक्ति का राज किया है. उनकी शक्ति को लेकर लोग तरह-तरह के दावे कर रहे हैं. वहीं, कुछ जानकारों का मानना है कि बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सारी शक्ति एक नारियल के पात्र में है. यही वजह है कि वे जहां भी जाते हैं, नारियल के इस पात्र को अपने साथ रखते हैं.


इतना ही नहीं, वे चाय और पानी पीने के लिए किसी कप या गिलास का इस्तेमाल नहीं करते हैं. धीरेंद्र चाय और पानी समेत किसी भी तरल पदार्थ को पीने के लिए नारियल के उस पात्र का ही इस्तेमाल करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि नारियल का ये पात्र उनके गुरु ने उन्हें प्रसाद के रूप में दिया था. 


दादा गुरु से मिला आशीर्वाद
अपने चमत्कार और विवादित बयानों की वजह से चर्चा बटोर रहे बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र शास्त्री ने इस पात्र के बारे में बताया कि ये उनके दादा ने उन्हें दिया था. धीरेंद्र के मुताबिक उनके दादा गुरुजी हमेशा इसी नारियल के पात्र में चाय पीते थे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एक बार दादा जी ने मुझे जूठी चाय पिलाई थी. उनका दावा है कि इसी चाय के चमत्कार से वे धीरेन्द्र से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बन गए.


लिहाजा, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री नारियल के इस पात्र को हमेशा ही अपने साथ रखते हैं. इसी में चाय पीते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वे चाय पीने के लिए इसी बर्तन का इस्तेमाल क्यों करते हैं, तो उन्होंने इसके जवाब में बताया कि इसमें फक्कड़पन का अनुभव होता है.


दादा को मानते हैं अपना गुरु
बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री 9 वर्ष की उम्र से ही बागेश्वर बालाजी के मंदिर पूजा के लिए जाने लगे थे. दरअसल, उनके दादा इसी मंदिर में पुजारी थे. लिहाजा, वे अपने दादा को अपना गुरु मानते हैं. धीरेंद्र शास्त्री बताते हैं कि उन्होंने अपने दादा से ही रामकथा सीखी थी. लिहाजा, वे अपने दादा की तरह हर शनिवार और मंगलवार को दिव्य दरबार लगाते हैं.


उनका दावा है कि इस दौरान वे समस्या लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की मन की बात पढ़कर लोगों की समस्या का समाधान बताते हैं. गौरतलब है कि बाबा अपने इसी चमत्कार की वजह से बहुत ही कम उम्र और समय में देश ही नहीं, विदेशों में भी विख्यात हो गए हैं. 


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