MP Politics on Bajrang Dal Controversy: बजरंग बली के नाम पर मध्यप्रदेश में भी सियासत तेज़ हो गई है. यहां बजरंग बली के नाम पर नेताओं के बीच बयानों की कुश्ती चल रही है. एक-दूसरे के खिलाफ आरोपों की गदा घुमाई जा रही है. कर्नाटक में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में हिंदूवादी संगठन बजरंग दल पर बैन के वादे को बीजेपी ने बजरंग बली के अपमान से जोड़ दिया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे लेकर कांग्रेस पर सवाल दागे तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने भी जवाबी हमला किया.
ये है पूरा मामला
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामायण की चौपाई "जाको प्रभु दारुण दुख देही,ताकी मति पहले हर लेही" के साथ कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मति मारी गई है, जो बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रही है. बजरंग दल प्रखर राष्ट्रवादी संगठन है. वह आतंकवाद का विरोध करती है.
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो पीसीसी चीफ कमलनाथ को पत्र लिखकर पूछ लिया कि वह अपनी पार्टी के निर्णय के पक्ष में हैं या विपक्ष में. उन्होंने यह भी कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल की तुलना पीएफआई से करने के साथ बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कर करोड़ों हिंदुओं और राम भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है. खुद को हनुमान भक्त बताने वाले कमलनाथ को बताना चाहिए कि वह अपनी पार्टी के निर्णय के पक्ष में है या विपक्ष में. साथ ही कमलनाथ आप यह भी बताएं कि दिग्विजय सिंह के बजरंग दल पर बैन करने वाले ट्वीट से सहमत है या नहीं.
बजरंग दल से बजरंग बली का क्या संबंध?
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने नरोत्तम मिश्रा की चिट्ठी का तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन पत्रकारों के सवाल पर इतना जरूर कहा कि नफ़रत फैलाने वाले संगठनों पर बैन की बात तो सुप्रीम कोर्ट भी करता है, इसमें नया क्या है. हमारी सामाजिक एकता की बात तो सभी करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मेनिफेस्टो कमेटी की बैठक सभी मामलों पर फैसला करेगी. कमलनाथ ने उल्टा प्रश्न किया कि बजरंग दल पर बैन और हनुमान जी का क्या संबंध है.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो इस मुद्दे पर लगातार सक्रिय हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुराने बयान को याद दिलाते हुए बीजेपी और बजरंग दल पर जमकर हमला बोला. बुधवार को एक ट्विटर यूजर को रिप्लाई करते हुए कहा कि बजरंग दल, भाजपा व विश्व हिंदू परिषद छोटे और मध्यम व्यापारियों से धौंस-धमकी देकर “चंदा वसूली दल” बन चुका है.
कौन कर रहा ध्रुवीकरण?
कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी पीयूष बबेले ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन पर बजरंग बली की मूर्ति के सामने महिला शरीर सौष्ठव प्रतियोगिता की याद दिलाते हुए कहा कि आज कर्नाटक में बीजेपी चुनाव हार रही है तो बजरंग बली की याद आ रही है. शिवराज जी के जन्मदिन पर जब भगवान के सामने अश्लीलता की थी, तब अपमान करने वालों को बीजेपी ने संरक्षण दिया था. आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इन्हें वोटों के लिए भगवान की दरकार है, धर्म के लिए नहीं.
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि बीजेपी को वोटों का ध्रुवीकरण करना बेहद फायदेमंद लगता है. इस वजह से कर्नाटक से शुरू हुआ बजरंग दल और बजरंग बली का विवाद मध्यप्रदेश में भी अगले विधानसभा चुनाव तक गर्माता रहेगा. कर्नाटक के साथ-साथ इस पर मध्य प्रदेश में भी जमकर बयान बाजी चलती रहेगी.
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