Bandhavgadh National Park: बांधवगढ़ नेशनल पार्क में मानाया जा रहा हाथी महोत्सव, तेल मालिश के बाद गजराज उड़ा रहे दावत
Bandhavgadh: बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सात दिवसीय हाथी महोत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान हाथी सुबह नदी में मस्ती, तेल मालिश के बाद विशेष भोज की दावत उड़ाकर जंगल में मौज करेंगे.
Elephant Festival In Bandhavgadh National Park: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क (Bandhavgadh National Park) के हाथी इन दिनों मानसून वेकेशन पर चल रहे हैं. वेकेशन के दिनों में उनकी दिनचर्या में सुबह रिवर बाथ और से शुरू होकर लजीज पकवानों वाले लंच और डिनर के साथ खत्म हो रही है. दरअसल, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में बाघों की तलाशी, सुरक्षा और निगरानी जैसे कार्यों में अहम भूमिका निभाने वाला हाथियों का दल हफ्ते भर के लिए छुट्टी पर चला गया है. गुरूवार से यहां सात दिवसीय हाथी महोत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान हाथी सुबह नदी में मस्ती, तेल मालिश के बाद विशेष भोज की दावत उड़ाकर जंगल में मौज करेंगे.
हाथी महोत्सव का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि सुबह इनके नहाने से लेकर तेल मालिश और भोजन के मेन्यू का रोस्टर बनाया जाता है. प्रबंधन के अनुसार खाद्य सामग्री के मेन्यू में आठ चीजें शामिल की गई हैं. पसंदीदा केला, अमरूद, नारियल, गुड़, गन्ना, अनानाश, पपीता, मक्का और रोटी इनका मुख्य भोजन हैं. इसके अलावा तेल मालिश के लिए अरंड़ी तेल और नीम का इस्तेमाल होता है. समीप की चरणगंगा नदी में सात दिन तक रोज स्नान के बाद हाथी दावत उड़ाते हैं. हाथी महोत्सव के पहले दिन 12 हाथियों को ताला कैम्प में शामिल किया गया था. कुनबे में 37 वर्षीय नर रामा को अन्य नर के साथ झगड़े के चलते अलग रखा गया था. साल 2021 में जन्मी गायत्री महोत्सव की सबसे युवा सदस्य थी. उसने गेहूं, चना और मक्के की रोटी का खूब चखकर स्वाद लिया.
है 12 हाथियों का कुनबा
अपनी मां अनारकली के साथ उसकी अटखेलियां नागरिकों के लिए रोमांच का विषय बनी हुई थी. टाईगर रिजर्व प्रबंधन के पास रेस्क्यू, ट्रैकिंग जैसे कार्यों के लिए 12 हाथियों का कुनबा है. वन्यजीवों की सुरक्षा में घनी झाड़ियों और दुर्गम पहाड़ियों के बीच जहां इंसानी प्रवेश नहीं हो पाता, वहां इन हाथियों की मदद से रेस्क्यू किया जाता है. नौ रेंज में जंगली हाथियों का खतरा हो या फिर 165 बाघ की सुरक्षा, हर मोर्चे पर ये हाथी प्रबंधन का प्रमुख अस्त्र हैं .यही नहीं ये पूरे शहडोल संभाग से लेकर सतपुड़ा, कान्हा और नौरोदेही तक सुरक्षा का जिम्मा उठाए हुए हैं. गुरूवार को प्रभारी क्षेत्र संचालक एलएल उइके, एसडीओ सुधीर मिश्रा सहित धमोखर, ताला, पतौर व मानपुर रेंज अफसरों की मौजूदगी में शहीद परिवार के सदस्यों से फीता काटकर महोत्सव प्रारंभ किया गया.
क्या होगा महोत्सव में
महोत्सव के दौरान महावत रोज इनके नहलाने से लेकर खाने और श्रंगार के बाद जंगल में घूमने के लिए छोड़ेंगे, ताकि पार्क खुलने के पूर्व ये आपस में मिलकर मस्ती कर सकें. एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया बांधवगढ़ में 12 हाथियों का दल है. इनमे गौतम (77 साल), श्याम (40 साल), रामा (37 साल), लक्ष्मण (26 साल), अष्टम(21 साल), सूर्या (11 साल) और गणेश (8 साल) नर हैं. मादाओं में 59 वर्षीय अनारकली मुखिया, बांधवीय (12 साल), पूनम(10 साल) और गायत्री (2 साल) सबसे युवा है. इनकी औसत अधिकतम आयु 100 वर्ष है. गौतम, अनारकली, श्याम, रामा और लक्ष्मण को जंगल से पकड़कर प्रशिक्षिण किया गया है. शेष युवा नर और मादा तूफान, अनारकली और तारामती की संतानें हैं.
बांधवगढ़ में 1978 में कान्हा टाईगर रिजर्व से लाया गया गौतम नर सबसे वयोवृद्ध मुखिया है. 77 वर्षीय गौतम अब रिटायर्ड हो चुका है. जंगली हाथियों के रेस्क्यू से लेकर बाघों की ट्रैकिंग में वह अहम भूमिका निभा चुका है. साल 2011 में चचाई अनूपपुर से रामा के रेस्क्यू और 2018 में सीधी से तीन जंगली हाथियों को पकड़ने में गौतम की ही अहम भूमिका थी क्योंकि विशालकाय शरीर होने से जंगली हाथी भी इससे डरते थे.
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