MP News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कुएं से निकलीं बाघ की 150 से ज्यादा हड्डियां, जांच के लिए भेजी गईं लैब
Bandhavgarh National Park: बाघ की हड्डियां मिलने पर वन्यजीव कार्यकर्ता ने शिकार की आशंका व्यक्त की है और इस मामले में गहन जांच की मांग की है. अस्थियों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ के मगधी रेंज अंतर्गत विस्थापित हो चुके मिल्ली गांव के कुएं से बाघ की हड्डियां बरामद हुई हैं. हड्डियां पांच साल पुरानी बताई जा रही हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इन हड्डियों को बरामद कर जांच के लिए लैब भेजा है. बाघ की हड्डियां डेढ़ सौ से अधिक है.
बता दें, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी बीट क्रमांक 299 के पास छहराहार में अनुपयोगी एक कुएं से एक अप्रैल को वन विभाग ने बाघ की हड्डियां बरामद की हैं. इन हड्डियों की संख्या लगभग 150 बताई जा रही है. वन विभाग का अनुमान है कि गांव विस्थापित हो चुका हैं, ऐसे में सुनसान गांव होने की वजह से इस गांव में बाघ गिर गया होगा.
वन्यजीव कार्यकर्ता ने जताई आशंका
इधर वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने बाघ की हड्डियों को लेकर आशंका व्यक्त की है. अजय दुबे ने इस मामले में गहन जांच की मांग की है. वन्यजीव कार्यकर्ता दुबे का मानना है कि बाघ का शिकार भी हो सकता है. हालांकि वन विभाग ने बाघ की हड्डियों को जांच के लिए लैब भेजा है. एसडीओ सुधीर मिश्रा के अनुसार जांच के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है.
अस्थियों का किया दाह संस्कार
इस मामले में वन विभाग ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उमरिया वन परिक्षेत्र मगधी अंतर्गत बीट मिल्ली के कक्ष क्रमांक 299 में स्थित एक निर्जन कुएं में वन्यप्राणी की अस्थियां प्राप्त हुई और प्राप्त अस्थियों को जब्त कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही पूर्ण की गई, जिसके बाद क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया के निर्देशन में डॉ. नितिन गुप्ता वन्यप्राणी चिकित्सक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया द्वारा प्रारंभिक परीक्षण में अस्थियां वन्यप्राणी बाघ की प्रतीत होना बताया गया है, जो लगभग पांच वर्ष पुरानी होना बताया है. अस्थियों को फोरेंसिक जांच के लिए सेंपलिंग किया गया है. शेष अस्थियों को क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया, एनटीसीए प्रतिनिधि एवं अन्य कर्मचारियों की उपस्थिति में दाह कर नष्ट किया गया.
एमपी में छह टाइगर रिजर्व
बता दें 50 साल पहले भारत में 1973 को टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. बाघों को बसाने के लिए टाइगर रिजर्व बनाए गए थे. उस समय मध्यप्रदेश में भी एक टाइगर रिजर्व था. हालांकि उसके बाद टाइगर रिजर्व पर मप्र में काम किया गया और मप्र में छह टाइगर रिजर्व है. मप्र में बाघों की संख्या भी लगभग 706 है. अब स्थिति यह है कि मप्र में बाघों की संख्या तो बढ़ गई लेकिन बाघों को रखने के लिए जगह का अभाव बन गया है. जगह के अभाव में मप्र में बाघ और इंसानों की लड़ाई के मामले सामने आ रहे हैं.
सबसे अधिक बांधवगढ़ में बाघ
बता दें कि मध्यप्रदेश में आधा दर्जन टाइगर रिजर्व है. जिनमें बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, पेंच, संजय और सतपुड़ा शामिल हैं. बांधवगढ़ में 31 बाघों की क्षमता है, जबकि बांधवगढ़ में वर्तमान में 220 बाघ है. इसी तरह कान्हा में 41 की क्षमता, 149 बाघ है. पन्ना में 32 की क्षमता, 83 बाघ, पेंच में 24 की क्षमता 129 बाघ है, संजय में 34 की क्षमता और यहां 35 बाघ है. इसी तरह सतपुड़ा में 43 बाघों की क्षमता है, जबकि यहां 90 बाघ है. कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में 205 बाघ की क्षमता है, जबकि यहां 706 बाघ है.
39 बाघों की आपस में लड़ने से मौत
बता दे मध्यप्रदेश में बाघों के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से स्थिति यह बन रही है कि क्षेत्राधिकार के लिए बाघ आपस में लड़ रहे हैं या शहरी बस्तियों में जा रहे हैं. बीते चार महीने पहले ही राजधानी भोपाल के एक शिक्षण संस्थान में बाघ ने डेरा डाल लिया था, लगभग एक महीने बाद इस बाघ को पकड़ा जा सका था. इसी तरह बाघों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होने की वजह से बाघ अब आपस में लड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश में अब तक आपसी लड़ाई की वजह से 39 बाघों की मौत हो चुकी है.
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