Jabalpur News: जबलपुर के 17 हजार से ज्यादा किसानों के खेत या अन्य संपत्ति पर कुर्की की तलवार लटक रही है. कृषि लोन लेकर उसे नहीं चुकाने वाले जबलपुर जिले के 17 हजार से ज्यादा किसानों के खिलाफ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक नोटिस देकर कुर्की की कार्रवाई प्रस्तावित कर रहा है. यह पहला मौका है जब बकाया वसूली के लिए बैंक द्वारा इस तरह का कदम उठाया जा रहा है. इन किसानों पर करीब 139 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऋण राशि बकाया है.
हजारों किसानों को बैंक ने डिफॉल्टर की श्रेणी में रखा
मध्यप्रदेश में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के माध्यम से कृषि संबंधी कार्यों के लिए किसानों को निश्चित अवधि के लिए ब्याज मुक्त ऋण की राशि प्रदान की जाती है. यह काम वह सहकारी समितियों के जरिए करवाता है. कर्ज चुकाने की अवधि लगभग एक वर्ष रहती है. लेकिन जैसे ही यह समय सीमा खत्म होती है, उस पर ब्याज लगने लगता है. आमतौर पर किसान इसे अपनी फसल आने पर चुका देते हैं. लेकिन कई ऐसे हैं, जो ऋण समय पर जमा नहीं करते हैं. ऐसे किसानों को बैंक ने डिफॉल्टर की श्रेणी में रखा है. अब उनसे बकाया राशि वसूलने की तैयारी शुरू कर दी गई है. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के प्रबंधक अरविंद पाठक के अनुसार दिसंबर माह की स्थिति में जिले में कुल 17 हजार 231 किसान हैं, जो कि डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं. इन पर करीब 139 करोड़ रुपए की ऋण राशि बकाया है. यह ऋण खाद और बीज की खरीदी के अलावा दूसरे कृषि संबंधी कार्यों के लिए लिया गया था. इसमें अधिकतम 2 लाख रुपए की राशि ऋण के रूप में दी गई थी.एक वर्ष में यदि ऋण चुका दिया जाता है तो इस पर कोई ब्याज नहीं लगता.
भारतीय किसान संघ ने साधा कमलनाथ पर निशाना
भारतीय किसान संघ के मध्य प्रदेश प्रचार प्रमुख राघवेंद्र पटेल का कहना है कि राशि नहीं चुकाने के पीछे एक बड़ा कारण कमलनाथ सरकार की ऋण माफी योजना भी है. ज्यादातर किसानों को उम्मीद थी कि उनका ऋण माफ हो जाएगा. लेकिन इस योजना का लाभ अधिकांश किसानों को नहीं मिला. पहले उनका बैंकिंग सिस्टम ठीक था लेकिन इस योजना में हुई वादा खिलाफी से सब गड़बड़ हो गया. किसानों ने सरकार से उम्मीद के चलते अपने हिस्से की राशि नहीं चुकाई. जब समय बीत गया तो ब्याज भी बढ़ गया.
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