(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Betul News: जख्म में कीड़े पड़ने पर देव प्रकोप मानकर पूरे परिवार को घर में किया कैद, नहीं मनाया गया करवा चौथ
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के बैतूल में एक बुजुर्ग महिला के जख्म में कीड़े पड़ने को देव प्रकोप मानकर आस-पड़ोस के कई घरों में करवा चौथ का त्योहार भी नहीं मनाया गया.
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले में पुरानी कुप्रथा के चलते एक परिवार को घर में कैद कर दिया गया है. घर के एक बुजुर्ग महिला के जख्म में कीड़े पड़ने को देव प्रकोप मानकर आस-पड़ोस के कई घरों में करवा चौथ का त्योहार भी नहीं मनाया गया. जिला मुख्यालय के नज़दीक खेड़ीसांवलीगढ़ पंचायत में एक बीमार बुजुर्ग महिला के पुराने जख्म में कीड़े लग गए तो पूरे परिवार को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा देने की कुप्रथा देखने को मिली है.
बताया जाता है कि 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला के पैर में लगे पुराने जख्म में कीड़े लगने की वजह से पूरे परिवार को अलग थलग कर दिया गया है. इसके अलावा आधे गांव में करवा चौथ का पर्व भी नहीं मनाया गया. बैतूल जिले के ग्रामीण अंचलों में किसी जख्म पर यदि कीड़े लग जाते हैं तो उसे देव दुख या देवका मारा कहा जाता है. यह अंधविश्वास है या इसके पीछे कोई तर्क है, यह कहना संभव नहीं है. लेकिन यदि कोई इस तरह पीड़ित होता है तो सख्ती से कई नियमों का पालन किया जाता है.
घर में कैद हुआ पूरा परिवार
मिली जानकारी के अनुसार गांव खेड़ी सांवलीगढ़ की ढीमर मोहल्ला निवासी 70 वर्षीय महिला सुंदर बाई किरोड़े के पैर में चोट से जख्म हो गया था. कुछ दिनों से इस जख्म में कीड़े दिखाई देने लगे. इसकी जानकारी जब पड़ोसियों को मिली तो उन्होंने पुरानी परम्परा के अनुसार गांव के पंडित सुनील महाराज को अवगत कराया. पड़ोसियों ने बुजुर्ग महिला के परिवार को घर से बाहर निकलने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी और मुख्य द्वार भी बंद कर दिया. इस परिवार के किसी भी सदस्य या जब तब बुजुर्ग महिला के पैर का घाव ठीक नहीं हो जाता, तब तक बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. भोजन, पानी और अन्य जरुरतों के लिए पड़ोसियों द्वारा मदद भी की जा रही है.
नहीं मनाया करवाचौथ का पर्व
करवा चौथ का पर्व गुरुवार को पूरे जिले में परम्परागत रीति-रिवाज और उत्साह के साथ मनाया गया. वहीं दूसरी ओर खेड़ी सांवलीगढ़ में आधे गांव में महिला को देवका मारा होने की वजह से करवाचौथ का पर्व नहीं मनाया गया. आसपास की आबादी में स्थित मंदिरों को भी बंद कर दिया गया है. अब यह मंदिर शुद्धीकरण के बाद ही खोले जाएंगे. यह अंधविश्वास है या परम्परा,समझ से परे है. बुजुर्ग महिला के जख्म का उपचार अस्पताल में कराया जाना चाहिए. इस पर ध्यान न देते हुए पूरे परिवार को ही घर में कैद कर दिया गया है.
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