Scindia Family Tradition in Mahakal Sawari: प्राचीन काल से ही भगवान महाकाल की सवारी में सिंधिया घराने की ओर से कोई ना कोई सदस्य शामिल होकर पूजा अर्चना करता आया है. इसकी बड़ी ही रोचक वजह है.
भादो मास के दूसरे सोमवार भगवान महाकाल की अंतिम और शाही सवारी में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पुत्र आर्यमन सिंधिया उज्जैन आ रहे हैं. वे भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होकर राजाधिराज की पूजा अर्चना भी करेंगे.
महाकाल सवारी में शामिल होंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजधानी दिल्ली से हवाई मार्ग के जरिए 4:00 बजे इंदौर पहुंचेंगे. इंदौर एयरपोर्ट से वे सीधे महाकालेश्वर मंदिर के लिए रवाना होंगे. भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होने के बाद वह 6:30 बजे उज्जैन से इंदौर एयरपोर्ट के लिए निकल जाएंगे.
केंद्रीय मंत्री के साथ उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया के भी सवारी में शामिल होने की बात कही जा रही है. दरअसल, सिंधिया राजघराने के 14वें वंशज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए उज्जैन आ रहे हैं, जिस परंपरा की शुरुआत सिंधिया काल में हुई थी.
इस परंपरा का निर्वहन कर रहा सिंधिया परिवार
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी संजय गुरु बताते हैं कि 250 साल पहले सिंधिया घराने के राणोंजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. इसके बाद भगवान महाकाल की सवारी का क्रम फिर से शुरू हुआ था. उसी समय से मराठा साम्राज्य सिंधिया राज परिवार के किसी न किसी सदस्य का भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होने का क्रम शुरू हुआ था. इसी परंपरा का सिंधिया परिवार आज भी निर्वहन कर रहा है.
सिंधिया राजघराने ने उज्जैन को बनाया था राजधानी
महाकालेश्वर मंदिर के महेश पुजारी के मुताबिक, सिंधिया राजघराने के पूर्वज महाराष्ट्र से निकाल कर मालवा की ओर आए तो उन्होंने अपनी पहली राजधानी उज्जैन को बनाया था. उज्जैन के राजा अनादि काल से भगवान महाकाल माने जाते हैं.
इसलिए सिंधिया परिवार ने अपना महल भी उस समय उज्जैन की सीमा के बाहर केडी पैलेस इलाके में बनाया था. सिंधिया परिवार का कोई भी सदस्य कई दशकों से उज्जैन की सीमा में रात्रि विश्राम करने के लिए नहीं रुका है.
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