Bhai Dooj 2022: जानिए- कैसे शुरू हुई भाई दूज की परंपरा, पंडितों ने बताया विशेष मुहूर्त
Madhya Pradesh News: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है. पंडितों ने इस परंपरा के पीछे की कहानी के साथ-साथ शुभ मुहूर्त भी बताया.
MP News: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है. यह परंपरा काफी प्राचीन होने के साथ-साथ भाई-बहन के अटूट प्रेम की मिसाल है. भाई दूज को लेकर आज दोपहर 12:30 से 3:30 और शाम 6:30 से 7:30 का विशेष मुहूर्त है.
भाई दूज की परंपरा की शरुआत
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बा वाला ने बताया कि प्राचीन कथाओं के मुताबिक सूर्यपुत्री यमी और उनके भाई यम के बीच लंबे समय तक मुलाकात नहीं हो पाई थी. इसी के चलते यमी ने भगवान शिव की तपस्या की और यह वर मांगा कि उनके भाई यम का उनके घर पर आगमन हो.
यह भी कहा गया कि ऐसे समय पर उनके घर यम का आगमन हो तो उस समय शुभ घड़ी के साथ-साथ पृथ्वी का चक्कर भी ना बिगड़े. भगवान शिव ने यमी को आशीर्वाद दे दिया. इसके बाद यम के आगमन को लेकर जो उद्घोष हुआ वह उद्घोष धार्मिक नगरी उज्जैन से किया गया.
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के मुताबिक भाई दूज के दिन जो बहनें अपने भाई को घर बुलाकर उनकी पूजा करती हैं और अपने हाथ से बना हुआ भोजन उन्हें खिलाती है. ऐसे भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम हमेशा बना रहता है. इसके अलावा परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना भी करती हैं.
भाइयों की पूजा को लेकर विशेष मुहूर्त
पंडित अमर डब्बावाला के मुताबिक गुरुवार को भाई दूज के अवसर पर दोपहर 12:30 से 3:30 बजे तक विशेष मुहूर्त है. इसके अलावा शाम को 6:30 से 7:30 बजे भी भाइयों को तिलक लगाकर बहनें भोजन करवा सकती है. दोनों ही मुहूर्त भाई दूज की पूजा को लेकर विशेष स्थान रखते हैं.
देश में धर्मराज का एकमात्र मंदिर
पंडित राकेश गुरु ने बताया कि धार्मिक नगरी उज्जैन में रामघाट के किनारे धर्मराज का एकमात्र मंदिर है, जहां पर देश भर के श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. जिन बहनों के भाई नहीं है वे यमराज के मंदिर में पहुंचकर धर्मराज स्वरूप में उनकी पूजा करती है. इससे उनके परिवार में आने वाली विपत्तियों का नाश होता है.
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