MP News: मध्य प्रदेश के भिंड की जनता से कई तरह के टैक्स वसूल करने वाली भिंड नगर पालिका (Bhind Municipality) की साफ सफाई व्यवस्था बदहाल हो चुकी है. शहर की ज्यादातर गलियों में कचरा पसरा हुआ है और उससे उठ रही बदबू से लोग खासे परेशान हैं. कई गलियों में तो बरसात बंद होने के बाद भी जलभराव और कीचड़ के जमाव की समस्या से जनता जूझ रहीं हैं. स्वच्छता की रैंकिंग में सुधार का दावा करने वाली नगर पालिका की पोल खोल रही हैं और शहर कचरे के ढेर पर खड़ा दिखाई दे रहा है.


नगर पालिका लगातार कर रहा है कार्य
जब इस गंदगी की समस्या के संबंध में नगर पालिका प्रभारी सीएमओ हरीश बाबू शाक्यबार से बात की गई तो उनका कहना था कि कचरा प्रबंधन के लिए नगर पालिका लगातार कार्य कर रही है. 450 सफाई कर्मचारियों का अमला सुबह और दोपहर की पाली में लगातार कार्यरत है. नगरपालिका का प्रयास रहता है कि शहर में सफाई की पर्याप्त व्यवस्था रहे. हालांकि सीएमओ शहर में लगे गंदगी के ढेर की बात को भी स्वीकार करते हैं. सीएमओ कहना है कि शहर से निकलने वाले कचरा निस्तारण प्लांट के लिए 9 करोड़ रुपये का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार को भेजा गया है.


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गंदगी से हो बढ़ रही है बीमारियों का खतरा
स्थानीय लोगों का उमेश ओझा, गोपाल, रामकुमार, ओमप्रकाश आदि का कहना है कि चाहे वह गलियां हो, नालियां हो या सड़क किनारा हो. गंदगी का आलम सब जगह एक जैसा ही है. सफाई की खराब व्यवस्था कोई आज का मसाला नहीं है बल्कि भिंड की यह स्थिति वर्षों से बनी हुई है. सीएम हेल्पलाइन कॉल 181 से लेकर नगर पालिका, जिला प्रशासन और कलेक्टर तक लोग गुहार लगा चुके हैं, लेकिन भिंड की स्थिति है कि सुधर ही नहीं रही है. लोगों का आरोप है कि गंदगी के चलते शहर में मलेरिया और डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों से उनको और उनके बच्चों को दो चार होना पड़ता है.


साल 2020 में में थी 165 वीं रैंक
भिंड नगरपालिका प्रबंधन स्वच्छता सर्वेक्षण में देश भर में अंडर 50 में आने के लिए लगातार प्रयासरत है. स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नतीजों से भिंड की जनता को बेहद निराशा हुई थी. इस बार के सर्वेक्षण में नगर पालिका को 183 वां रैंक मिला था. 6 हजार अंकों वाले इस सर्वेक्षण में भिंड नगर पालिका को 2612.87 अंक मिले जो कि इस कैटेगरी प्रदेश की अन्य नगर पालिकाओं में सबसे कम हैं, जबकि जो 2020 के मुकाबले 18 पायदान नीचे था. साल 2020 में भिंड नगर पालिका ने देश में 165 वीं रैंक हासिल की थी.


2016 में था देश का दूसरा सबसे गंदा शहर
स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी. तब भिंड नगरपालिका को 498 अंक मिले थे. उस दौरान इस सर्वे के मुताबिक़ भिंड देश का सबसे गंदा दूसरा शहर था. गंदगी के इस दाग को मिटाने के लिए शहर के समाजसेवी खुद सड़कों पर उतरे और सफाई शुरु की इसके बाद प्रशासन ने भी समाजसेवियों के साथ गंदगी मुक्त भिंड को बनाने के लिए मेहनत की परिणामस्वरूप वर्ष 2017 में भिंड की रैंक 128 आई थी. वर्ष 2018 में लोग और नगर पालिका के प्रयासों से भिंड की रैंक 114 आयी जो अब तक मिली सबसे ठीक रैंकिंग थी. 2019 में लापरवाही के चलते 214 वीं रैंक पर फिसले 2020 में कुछ सुधार के साथ 165 वीं रैंक हाँसिल हुई. जबकि वर्ष 2021 में अनदेखी और अव्यवस्थाओं के चलते रैंकिंग में गिरावट रही. देश में 183वीं रैंक मिली.


नहीं हो रहा है सफाई का काम
भिंड नगर पालिका बीते दो साल से अध्यक्ष के अभाव में प्रशासक बने कलेक्टर की ज़िम्मेदारी पर चल रही थी. लोगों द्वारा बार बार शिकायतों के बाद भी कचरा प्रबंधन और साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया. पूरे भिंड शहर में एक-दो जगहों को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी नगर पालिका द्वारा डस्टबिन तक नहीं रखवाए गए हैं. बिना डस्टबिन करीब तीन साल हो चुके हैं. लोग डोर टू डोर कचरा कलेक्शन वाहनों पर निर्भर हैं. जो कई जगह नहीं पहुंचते. ऐसे में लोग सड़कों के किनारे कचरा जमा करने लगते हैं. लगभग शहर के सभी 39 वार्ड के ऐसे ही हाल हैं.


लगातार लापरवाही का ही नतीजा है कि हम लगातार स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़ते जा रहे हैं. नगरीय निकाय चुनाव सम्पन्न होने के बाद शहर सरकार बन चुकी है और लगभग महीना होने जा रहा है, लेकिन नगर पालिका परिषद का ध्यान अब भी शहर में मौजूद गंदगी को हटवाने की ओर नहीं है. जल्द ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 का सर्वे होगा.  


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