Bhind Flood: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भिंड (Bhind) जिला के अटेर में कई गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं. इस बाढ़ से जूझते 25 गांवों में से एक देवालय गांव (Devalaya Village) के लोग अब टापू बने इलाकों में फंसे हुए हैं. प्रशासन की अपील के बाद भी अपनी पूंजी, गल्ला ओर मवेशियों का मोह उन्हें गांव से बाहर नहीं निकलने दे रहा है. दरअसल देवालय गांव ऊंचाई पर है, लेकिन घरों में पानी घुस चुका है. लोग अपनी गृहस्थी समेट रहे हैं. आधे से ज्यादा गांव में लोग अपना अनाज, फर्नीचर, बिछौने और मवेशियों को बचाने में लगे हैं.

 

वहीं खेती पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है और गांव का विकास दशकों पीछे चल गया है. देवालय गांव की हर छत पर बाढ़ से बचने का प्रयास कर रहे ग्रामीण और उनका सामान है. जिन गरीबों के घर पूरी तरह डूब गए हैं, वे ऊंचाई पर बने दूसरों के घरों में शरण ले रहे हैं. गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि पानी लगातार बढ़ रहा है. कई घरों में बाढ़ का पानी घुसा है. ऐसे में लोग अपनी गृहस्थी छतों पर रखने को मजबूर हैं. घर खाली कर दिए हैं, लेकिन प्रशासन की मदद नहीं मिलने से एक-दूसरे का सहारा बन रहे हैं.

 


 

ऊंची सड़क बनाने की भी हुई मांग

 

गांव में रहने वाले एक आर्मी से रिटायर्ड सूबेदार राकेश ने बताया कि उनका लाखों का नुकसान हो रहा है. घर में लाखों रुपये का फर्नीचर लगवाया. मेहनत से कमाया पैसा इस तरह डूबता नजर आ रहा है, जिससे वह आहत हैं और सरकार से माग कर रहे हैं कि बाढ़ पीड़ितों को किसी ऊंचे स्थान पर या बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से दूर विस्थापित किया जाए. कोई ऊंची सड़क बनाई जाए, जिससे आवागमन में परेशानी न हो. लोग अपना घर-बार, मवेशियों को लेकर कहां जाए, फसलों का नुकसान तो हो चुका है, लेकिन सिर्फ मुआवजे से कब तक पूर्ति होगी. सरकार को इस पर प्लानिंग करना चाहिए.

 

लोग बोले- ऐसा जलजला उन्होंने पहली बार देखा

हालांकि, यह हालात सिर्फ देवालय के नहीं, बल्कि उन तमाम गांव के हैं जो चम्बल नदी के किनारे बसे हुए हैं. वर्तमान हालात में चम्बल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. सरकार भी खुद अभी और पानी बढ़ने की संभावना जाता रही है. ऐसे में समय रहते प्रशासन इन ग्रामीणों को समझा-बुझाकर रेस्क्यू नहीं करती है तो कौन जाने आगे क्या परिणाम देखने को मिले? ग्रामीणों को अपना गांव और मवेशियों का मोह, उन्हें गांव से बाहर आने नहीं दे रहा. वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उनके जीवनकाल और बुजुर्गों के जीवन काल में भी चंबल इस प्रकार कभी नहीं चढ़ी है. बाढ़ तो पहले भी कई बार आई, लेकिन इस प्रकार का जलजला उन्होंने पहली बार देखा है.