Bhind News: बीहड़, बागी और बंदूक के लिए कई दशकों से बदनाम मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड जिले में राष्ट्रपति पुरस्कार (President Award) से सम्मानित शिक्षक राजनारायण राजोरिया ज्ञान की गंगा बहा रहे हैं. राजोरिया अपने अनोखे तरीके से पढ़ाने के लिए दूर-दूर तक विख्यात हैं. केंद्र और प्रदेश की कई सरकारें उनको सम्मानित कर चुकी हैं. बच्चों के लिए कठिन समझे जाने वाले विषय गणित को राजनारायण राजोरिया पिछले 42 सालों से सरल बनाने में जुटे हुए हैं. 


लिखीं हैं लोकप्रिय किताबें
राजोरिया ने गणित को सरल रूप में सिखाने के लिए गणित की दो किताबें भी लिखी हैं जिनमें भारतीय गणित विज्ञान और मजेदार गणित काफी लोकप्रिय हैं. उन्होंने घर से निकलने वाले वेस्ट जैसी लकड़ी, कांच, गत्ता, प्लास्टिक इत्यादि से सरल रूप से गणित सिखाने के लिए गणित की अवधारणा पर सैकड़ों एक्सपेरिमेंटल टूल्स बनाए हैं जिनसे खेल-खेल में ही बच्चे गणित को सरल रूप में समझ जाते हैं.


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समझाते हैं एक्सपेरिमेंटल टूल्स से
मध्य प्रदेश सरकार ने शिक्षक राजनारायण राजोरिया को रामानुजन पुरस्कार से नवाजा है और साल 2014 में गणित में अनुकरणीय कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिया गया है. राजोरिया सर को देशभर में गणित विषय पर आधारित कार्यशाला और सेमिनारों में व्याख्यान के लिए बुलाया जाता है. राजोरिया सर अब तक देश भर के 15 राज्यों और कई विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे चुके हैं. उन्होंने अपने घर के एक कमरे को गणित की प्रयोगशाला बनाया है. राजोरिया सर के घर पर स्कूल समय के बाद शहर के गणित के जिज्ञासु बच्चे कई कठिन प्रश्नों के हल करवाने के लिए आते हैं जिन्हें वे सरल रूप से अपने द्वारा बनाए गए एक्सपेरिमेंटल टूल्स के माध्यम से  समझाते हैं.


गौरवान्वित महसूस करते हैं लोग
राजोरिया सर को भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने गणित विषय के शिक्षण की ट्रेनिंग देने के लिए देशभर के चुनिंदा एक दर्जन रिसोर्स परसंस में शामिल किया है. उनको देशभर में शिक्षकों को गणित के एक्सपेरिमेंटल टूल्स के माध्यम से पढ़ाने के लिए ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया जाता है. भिंड के लोग राजनारायण राजोरिया को गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिले राष्ट्रपति पुरस्कार से अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं.


प्रभावित हुए हैं कई संस्थान
राजोरिया सर के द्वारा बनाए गए एक्सपेरिमेंटल टूल्स को देखकर कई संस्थान प्रभावित हुए और उन्होंने अपने यहां इनसे ही पढ़ाना शुरू किया है और उन्होंने भी कई अन्य तरह के नए एक्सपेरिमेंटल टूल्स इजाद किए हैं. चंबल का भिंड जिला अशिक्षा और पिछड़ेपन का शिकार है और यहां पर रोजगार और शिक्षा के सीमित साधन है उसके बावजूद एक शिक्षक गणित को सरल रूप से समझाने के लिए नए-नए तरीके इजाद कर देश का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त कर सकते हैं तो महानगरों में जहां शिक्षा के तमाम संसाधन उपलब्ध हैं, वहां से हजारों और रामानुजन पैदा होकर देश का भविष्य बदल सकते हैं.


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