(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bhind: MGNREGA की नई व्यस्थाओं को लेकर शिवराज सरकार से नाराज सरपंच, BJP की विकास यात्रा को बताया 'विनाश यात्रा'
MP Politics: सरपंचों का आरोप है कि पंचायत चुनाव के 8 महीने बीत गए, लेकिन अभी तक सरकार ने किसी पंचायत में विकास कार्य के लिए एक रुपये का भुगतान भी नहीं किया है.
BJP Vikas Yatra: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने बीते 5 फरवरी को चंबल से विकास यात्रा का आधिकारिक शुभारंभ भिंड (Bhind) में विकास रथों को हरी झंडी दिखा कर की थी. अब सरकार के एक फैसले ने इस विकास यात्रा पर संकट खड़ा कर दिया. क्योंकि पूरे प्रदेश के सरपंच संघ अब विकास यात्रा का विरोध जताकर फ्रंट फुट पर खड़ा है. गोहद क्षेत्र के सरपंचों ने शुक्रवार को एसडीएम सें मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था. वहीं शनिवार को ज्यादातर सरपंच हड़ताल पर चले गए हैं.
दरअसल अन्य राज्यों की तरह ही मनरेगा योजना में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और शिकायतों को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने भी मजदूरी की हजारी बायोमेट्रिक के आधार और वर्क लोकेशन पर लगाने की शुरुआत कर दी है. इस व्यवस्था में मनरेगा मजदरों को कार्यस्थल पर पहुंच कर वहीं मोबाइल ऐप के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है. साथ ही शाम को काम का वक्त खत्म होने पर उसी जगह से दोबारा ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक हजारी दर्ज की जा रही है. इसके साथ ही मजदूरों को उनका भुगतान भी आधार कार्ड के जरिए किया जाएगा, जो सीधा उनके खाते में पहुंचेगा.
इस तरह इस फैसले से मनरेगा योजना में पारदर्शिता बनी रहेगी और मजदूरों को उनकी मेहनत का पैसा भी सीधे बैंक खातों में मिलेगा. सरकार के इस फैसले को लेकर प्रदेश भर में सरपंचों ने विरोध जताना शुरू कर दिया. भिंड के गोहद क्षेत्र के सरपंचों ने पहले रथ को गांव में घुसने से रोका और शनिवार को हड़ताल कर दी.
मजदूरों की भुगतान राशि बढ़ाने की मांग
एंडोरी सरपंच रचना का कहना है कि सरकार क्षेत्र में विकास और मजदूरों को रोजगार मुहैया करना चाहती है, इसलिए मनरेगा योजना पर फोकस रहता है. हालांकि इतनी कम राशि के मेहनताने पर कोई भी मजदूर काम पर नहीं आना चाहता है. बाजार में मजदूरों को कम से कम 400 रुपये मिलते हैं, इसलिए कोई भी 204 रुपये में आने को तैयार नहीं होता है. जब हम मशीनों से काम करवाते हैं, तो सीएम हेल्पलाइन लग जाती है. हमारा अधिकारी वर्ग भी हम पर ऊपर से दबाव बनाते हैं कि अपने क्षेत्र की शिकायतें बंद कराइये. इनकी वजह से हम और सचिव शिकायत निपटाने में लग जाते हैं. इस तरह हम सिर्फ घूमते ही रहेंगे या अपना कुछ काम भी करेंगे. वहीं उन्होंने मांग की है कि मनरेगा के मजदूरों की भुगतान राशि बढ़ाई जाए और त्वरित भुगतान की व्यवस्था बनायें. यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो जो प्रक्रिया चल रही है इसे बंद करायें.
राष्ट्रीय सरपंच समिति के महासचिव राजवीर सिंह तोमर का कहना है कि बीते 28 जनवरी से ही प्रदेशभर में सरपंच हड़ताल पर हैं. 5 फरवरी से पंचायतों में तालाबंदी हो चुकी है. प्रत्येक पंचायत में सरकार ने विकास यात्रा शुरू की है. वह विकास यात्रा नहीं, उनकी विनाश यात्रा है. पंचायत चुनाव के बाद लगभग 8 माह हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने किसी पंचायत में विकास कार्य के लिए एक रुपये की भी राशि का भुगतान नहीं किया है. इस वजह से जो नए सरपंच चुन कर आये, वे 8 महीनों में गांव में एक भी विकास कार्य नहीं कर पाये हैं. नये नियमों से अब सरकार ने भ्रष्टाचारी के लिए नये प्रशासन को इतना हावी कर दिया है कि चारों ओर से सरपंच का शोषण शुरू हो गया है.
राष्ट्रीय सरपंच समिति के महासचिव का बयान
हड़ताल के बावजूद भी मनरेगा के तहत सभी पंचायतों में मस्टर डाले हैं, भुगतान के लिए ईपीओ (इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ऑर्डर) काटे जा रहे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए राजवीर सिंह का कहना था कि भ्रष्टाचार यहीं से उजागर होता है. क्योंकि कोई भी मस्टर सरपंच द्वारा नहीं काटा जा रहा है. यह भ्रष्टाचारी का सबसे बड़ा खेल हो रहा है कि जीआरएस और जनपद सीईओ के माध्यम से किया जा रहा है और बदनाम सरपंच को किया जाता है.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जस्टिस और सरपंच संघ के सलाहकार पांडेय से भी बात हुई है. हम ऐसे भ्रष्टाचारी जीआरएस और अधिकारियों के खिलाफ भी पीटीशन दायर कर रहे हैं कि जब सरपंच हड़ताल या आंदोलन पर है, उस दौरान इस तरह भुगतान के लिए मस्टर कैसे जारी हो रहे हैं. क्योंकि 15 वित्त के अंतर्गत आने वाले कार्यों में तो सरपंच को पता ही नहीं कब भुगतान हो गया.
राष्ट्रीय सरपंच समिति के महासचिव राजवीर सिंह तोमर का मानना है कि प्रदेश में 28,800 सरपंच हैं, जिनमें से 28,000 उनके संघ के साथ हैं, तो वहीं 800 सरपंच सीएम के साथ खड़े हैं. वह अपनी मांगों को लेकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर इन्हें पूरा नहीं किया जाएगा, तो आंदोलन और उग्र होगा.
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