Bhopal Pollution: भोपाल में अब पराली जलाने वालों की खैर नहीं! वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कलेक्टर ने दिया ये आदेश
Bhopal Air Pollution: कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने 3 महीने पहले निर्देश जारी कर पराली जलाने पर रोक लगाई थी. इसके बावजूद उनका यह निर्देश बेअसर साबित हो रहा है और खेतों में पराली जलाई जा रही है
Bhopal Air Pollution News: दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए मध्य प्रदेश में भोपाल जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है. कलेक्टर ने भोपाल जिले में पराली जलाने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. इस आदेश में स्पष्ट है कि पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज करने के साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा. तीन महीने पहले भी कलेक्टर ने भोपाल जिले में पराली जलाने पर रोक लगाई थी.
वहीं तीन महीने पहले भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निर्देश जारी कर संबंधित सभी एसडीएम को निर्देशित किया था कि पराली जलाने पर रोक लगाई जाए. साथ ही इसकी मॉनीटरिंग के लिए सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया था. पराली जलाने पर जुर्माने की राशि 15 हजार रुपये कर दी गई थी. इसके बावजूद कलेक्टर का यह निर्देश बेअसर साबित हो रहा है और खेतों में पराली जलाई जा रही है, जिससे भोपाल की हवा भी प्रदूषित हो रही है.
अभियान चलाकर किसानों को किया जा रहा जागरुक
कृषि उप संचालक सुमन प्रसाद के अनुसार, कृषि विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाकर किसानों को जागरुक किया जाता है कि वह खेतों में पराली न जलाएं. उन्हें पराली जलाने के नुकसान भी बताए जाते हैं. साथ ही नरवाई प्रबंधन योजना के तहत बोवनी करने वाले किसानों को एक एकड़ पर 1600 रुपये की सब्सिडी भी जाती है.
इन क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली
- विदिशा रोड, बेरसिया रोड, कटारा हिल्स के आगे के इलाकों में खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाई जाती है.
- कोलार सिक्सलेन पर बैरागढ़ चीचली के आगे से लेकर कजलीखेड़ा तक सड़क किनारे बड़ी संख्या में किसानों के खेत हैं, जहां पराली जलाई जा रही है.
- बावड़िया ब्रिज के पास भी पराली जलाई जा रही है, इससे रहवासी इलाकों में धुआं फैल रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
पराली जाने से होते हैं ये नुकसान
- खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है.
- खेत के आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति और प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जन्तु नष्ट हो जाते हैं, जिससे नुकसान होता है.
- खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं. इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करना है.
- आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
- जिले में कई किसान रोटोवेटर और अन्य साधनों से डंठल खेत से हटा रहे हैं. यह सुविधा जिले में उपलब्ध हो गई है.