Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड मामले में केन्द्र को SC से झटका, पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की याचिका को किया रद्द
भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की केंद्र सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. 5 जजों की बेंच ने इस मामले में 3 दिन तक दलीलें सुनी थी और 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
SC Dismissed Curative Petition: भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) में मुआवजा बढ़ाने की मांग को मंगलावर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार को झटका लगा है. इस मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था. बता दें कि भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की केन्द्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिका के माध्यम से भोपाल के गैस पीड़ितों (Gas Victims) को यूनियन कार्बाइड से करीब 7 हजार 800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की गई थी.
12 जनवरी को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एक ओक, जस्टिम विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने कहा कि केस दोबारा खोलने पर मुश्किलें बढ़ेंगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस मामले में तीन दिन तक दलीलें सुनी थी.
गैस रिसैव के कारण मारे गए थे 3 हजार 787 लोग
बता दें साल 1984 की 2-3 दिसंबर को राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी हुई थी. यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री (Union Carbide Factory) से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के कारण इस हादसे में 3 हजार 787 लोग मारे गए थे. उस रात को चारों तबाही का नजारा था. गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (Union Carbide Corporation) ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था, लेकिन पीडि़तों ने ज्यादा मुआवजे की मांग की थी.
इधर गैस कांड के पीड़ितों के लिए केन्द्र ने डाउ केमिकल्स से 6 हजार 844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा है. इसके लिए साल 2010 के दिसंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.
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