Bhopal Gas Tragedy: पीड़ितों को मुआवजा देने वाली याचिका पर SC ने जताई असहमति, कहा- 'केंद्र 30 साल बाद समझौते के मामले को फिर नहीं खोल सकता'
उच्चतम न्यायालय ने भोपाल गैस त्रासदी मामले में मुआवजा देने वाली याचिका पर केंद्र से असहमति जताई है. केंद्र कंपनी के साथ हुए समझौते को 30 साल से अधिक समय बाद दोबारा नहीं खोल सकती.
Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (UCC) की अनुवर्ती कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपए मांगने के लिए उपचारात्मक याचिका (Curative Petition) दाखिल करने पर मंगलवार को केंद्र से नाखुशी जताई. कोर्ट ने कहा कि वह न्याय-अधिकार क्षेत्र की ‘मर्यादा’ से बंधा है और सरकार कंपनी के साथ हुए समझौते को 30 साल से अधिक समय बाद दोबारा नहीं खोल सकती.
अदालत ऐसी किसी चीज में प्रवेश नहीं करेगी जो स्वीकार्य नहीं है: SC
शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को पसंद आना न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है. उसने कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में यह अच्छा नहीं लगता कि भले ही आपने भारत सरकार के साथ कुछ तय किया हो, इसे बाद में फिर से खोला जा सकता है. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘अदालत ऐसी किसी चीज में प्रवेश नहीं करेगी जो स्वीकार्य नहीं है. मामले के पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था और अदालत ने उसे मंजूरी दी थी. अब उपचारात्मक न्यायाधिकार के अधीन हम इसे फिर से नहीं खोल सकते. किसी मामले में हमारे फैसले का व्यापक प्रभाव होगा. आपको समझना होगा कि उपचारात्मक न्यायक्षेत्र किस सीमा तक लागू हो सकता है.’’ पीठ की अगुवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने की जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी शामिल रहे.
महिलाओं ने शुरू किया था अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन
1984 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड कंपनी में जहरीली गैस का रिसाव हो गया था. इस गैस हादसे में हजारों लोगों की मौत हो गई थी जबकि लाखों लोग प्रभावित हुए थे. ये हादसा 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को हुआ था. इस हादसे से पीड़ित लोगों के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर 10 महिलाओं ने शुक्रवार (30 दिसंबर) को अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू किया था. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के आश्वासन पर सभी 10 महिलाओं ने शनिवार (31 दिसंबर) को अपना अनशन वापस ले लिया था.
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