Bhopal Gas Tragedy: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 1984 के गैस त्रासदी के पीड़ितों के हित में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने बुधवार को आरोप लगाया कि 37 साल गुजर जाने के बावजूद प्रदेश और केंद्र की विभिन्न सरकारें दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रही हैं. यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से 2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि गैस के रिसाव के कारण पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे. यह कारखाना भोपाल के बाहरी इलाके में स्थित था.
पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता रशीदा बी ने कहा, "हम चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि विश्व के सबसे भीषण औद्योगिक हादसे के 37 साल बाद भी भोपाल गैस पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा गया है" उन्होंने दावा किया, ‘‘ हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि किसी पीड़ित को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है और आज तक कोई भी अपराधी एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गया है.’’
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने आज सोशल मीडिया के जरिए दिवंगत लोगों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है.
यह भी कहा
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इसका कारण यह है कि हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारें और अमरीकी कंपनियों के बीच सांठगांठ आज भी जारी है.’’ भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, ‘‘ मिट्टी और भूजल को प्रदूषित होने के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति के लिए डाव केमिकल-अमरीका से मुआवजे का दावा करने के बजाए, मध्यप्रदेश सरकार दुनिया के सबसे ज्यादा जहरीले स्थल के ऊपर स्मारक बनाने के नाम पर कम्पनी को उसकी कानूनी जिम्मेदारियों से बचाने में मदद कर रही है.’’
लाचारी वैसी ही
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने आरोप लगाया, ‘‘अस्पतालों में भीड़, संभावित हानिकारक दवाओं का बेहिसाब और अंधांधुंध इस्तेमाल और मरीजों की लाचारी वैसी ही बनी हुई है जैसी हादसे की सुबह थी. आज यूनियन कार्बाइड की गैसों के कारण फेफड़े, हृदय, गुर्दे, अंत:स्त्रावी तंत्र , तंत्रिका तंत्र और रोग प्रतिरोधक तंत्र की पुरानी बीमारियों के लिए इलाज की कोई प्रमाणिक विधि विकसित नहीं हो पाई है क्योंकि सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए हैं और यूनियन कार्बाइड कम्पनी ही है जिसके पास स्वास्थ्य संबंधी सारी जानकारी है और आज तक कम्पनी ने इस जानकारी को दबा कर रखा है.’’
सरकारों ने निराश किया
डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चों नामक संगठन के नौशीन खान ने कहा, "राज्य और केंद्र सरकारों ने हादसे के बाद पैदा हुए पीड़ितों की संतानों को निराश किया है. अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि हादसे के बाद गैस पीड़ितों के घर जन्मे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. माता-पिता के गैस हादसे से प्रभावित होने के कारण दसियों हज़ार बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा फिर भी सरकारों ने उनके लिए न तो मुआवजे की मांग की और न ही उन्हें रोजगार प्रदान करने के लिए कोई कदम ही उठाया है.’’ इन संगठनों के नेताओं ने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा 37 साल बाद भी पीड़ितों को इंसाफ और इज्जत की जिंदगी मुहैया ना करा पाने की कड़ी निंदा की .संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर केंद्रित अपनी 37 दिवसीय मुहिम '37 साल - 37सवाल' पर भी जानकारी साझा की.
राज्य सरकार ने क्या कहा
इस बीच, राज्य सरकार के एक बयान में कहा गया है कि आपदा की 37वीं बरसी पर भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए 3 दिसंबर को सुबह 11.30 बजे भोपाल के बरकतुल्ला भवन (केंद्रीय पुस्तकालय) में श्रद्धांजलि और प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा .इस प्रार्थना सभा में राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विभिन्न धर्मों के आध्यात्मिक नेता भी शामिल होंगे.
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