Bhopal Gas Tragedy Waste Disposal: मध्य प्रदेश में भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार की सुबह पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया की वेस्ट डिपोजिट यूनिट में भेजा गया. यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा पीथमपुर आने के बीच स्थानीय नागरिकों ने विरोध भी शुरू कर दिया है. उन्होंने जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट नहीं किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रखने की घोषणा की है.
इस बीच विरोध प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मोहन यादव ने कहा कि कचरे में 60 फीसदी मिट्टी और 40 फीसदी नेफ्टॉल है, जिसका इस्तेमाल कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में किया जाता है और यह बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसार इसका जहर करीब 25 साल तक रहता है और यह त्रासदी 40 साल पहले हुई थी.
अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर बुधवार की रात को जहरीले कचरे को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया की वेस्ट डिपोजिट यूनिट में भेजा गया. अधिकारियों ने बताया कि एक प्राइवेट कंपनी के द्वारा चलाई जा रही इस यूनिट के आस-पास बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है.
40 साल पहले हुआ था हदसा
बता दें भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था. गैस के रिसाव की वजह से कम से कम 5479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे. भोपाल गैस कांड को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है. एमपी हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर को इस कारखाने के जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं और कचरे को नष्ट करने के लिए सुरक्षित तकनीक अपनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी शंकाओं का जवाब इस बात से मिलता है कि हम इतने वर्षों से इस कचरे के साथ रह रहे हैं. कांग्रेस या निपटान प्रक्रिया का विरोध करने वालों को राजनीति नहीं करनी चाहिए. इस कचरे के निपटान को लेकर आशंकाएं निराधार हैं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया जा रहा है निपटान
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीथमपुर में वैज्ञानिक तरीकों के अनुसार कचरे का निपटान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई विभागों के सुझाव और परीक्षण, व्यापक अध्ययन जो इससे पहले दुनिया में कहीं नहीं किए गए, साथ ही अदालत के निर्देशों के बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई. राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग और अनुसंधान संस्थान नागपुर, राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान हैदराबाद, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभिन्न केंद्रीय संस्थानों ने ये अध्ययन किए.
मोहन यादव ने बताया कि 2013 में 10 टन कचरा केरल के कोच्चि स्थित संस्थान में ले जाया गया और बाद में पीथमपुर में इसका परीक्षण किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी रिपोर्टों की गहन जांच के बाद ही इस (निपटान) प्रक्रिया को अनुमति दी. इस बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार इस कचरे के निपटान से पीथमपुर और इंदौर के लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. हम इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते, लेकिन जब तक विशेषज्ञ पीथमपुर में कचरा निपटान पर स्पष्ट राय पर नहीं पहुंच जाते, तब तक प्रक्रिया रोक दी जानी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि हाई कोर्ट ने कचरे के निपटान के संबंध में निर्देश जारी किए हैं, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया है कि यह धार जिले के पीथमपुर में ही किया जाना चाहिए. कचरे के धार पहुंचने के कुछ घंटे बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले कचरे का निपटारा होना चाहिए. हालांकि, यह वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद किया जाना चाहिए.