भोपाल गैस कांड का जहरीला कचरा नष्ट करने पर बवाल, प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस का लाठीचार्ज
Bhopal Gas Tragedy: 40 साल पुरानी भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को धार के पीथमपुरा में जलाया जाना है, जिसका वहां विरोध हो रहा है. प्रदर्शन हिंसक हो गया है और पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया है.
Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है. धार के पीथमपुरा में इस कचरे को ले जाकर खत्म किया जाना है. हालांकि, इसको लेकर मध्य प्रदेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है. जनता यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस जहरीले कचरे को धार के पीथमपुरा में ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है.
यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. शुक्रवार (3 जनवरी) की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है.
#WATCH Madhya Pradesh | Police use lathi charge to disperse the protestors protesting against shifting of toxic waste from Bhopal's Union Carbide Factory to Dhar's Pithampur pic.twitter.com/IhwDGY3caS
— ANI (@ANI) January 3, 2025
गौरतलब है कि भोपाल की कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ गैस कांड अब तक की सबसे खौफनाक त्रासदी में से एक रहा है. 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई इस त्रासदी में करीब 5 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी जबकि इससे कई ज्यादा लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर अपंग हो गए थे. अब 40 साल बाद सरकार और प्रशासन ने फैक्ट्री के जहरीले कचरे के खात्मे का फैसला लिया है और तय किया है कि धार के पीथमपुरा में इस कचरे को जलाया जाएगा.
सीएम मोहन यादव का भी आया बयान
वहीं, लोगों की मांग है कि इस जहरीले कचरे को पीथमपुरा में नष्ट न किया जाए, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे वातावरण में और सीधे तौर पर जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
'कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी'
सीएम मोहन यादव ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के कचरे में 60 फीसदी मिट्टी है और 40 प्रतिशत नेफ्टॉल. इसका इस्तेमाल कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में किया जाता है. यह एकदम हानिकारक नहीं है. वहीं, साइंटिस्ट का दावा है कि कचरे में मौजूद जहर 25 साल तक रहता है और अब त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं. ऐसे में ये कचरा अब लोगों के लिए हानिकारक नहीं होगा.
सीलबंद कंटेनर में बंद कर के लाया गया कचरा
गौरतलब है कि भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को सीलबंद कंटेनर में रख कर 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाकर धार तक लाया गया है. ये कचरा 12 कंटेनर में भरा गया, जो 250 किलोमीटर का सफर तय कर धार तक पहुंचे. यहां के पीथमपुरा इंडस्ट्रियल एरिया की वेस्ट डिपॉजिट यूनिट में कचरा रखा गया है. इस यूनिट के आसपास भारी मात्रा में पुलिस फोर्स भी तैनात की गई है.
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